पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने 1 मई 2025 को नांगल बांध और इसके कंट्रोल रूम पर पंजाब पुलिस की तैनाती की थी, जिसका नेतृत्व एक DIG रैंक के अधिकारी ने किया। यह कदम हरियाणा के साथ चल रहे जल विवाद और भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) के 8,500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी हरियाणा को देने के फैसले के विरोध में उठाया गया था। पंजाब सरकार ने अब इस तैनाती का कारण भारत-पाकिस्तान तनाव को बताया है, विशेष रूप से पहलगाम आतंकी हमले के बाद बढ़ी सुरक्षा चिंताओं को। इस मुद्दे ने पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में कानूनी बहस को जन्म दिया है। आइए, इस मामले को विस्तार से समझते हैं।
पंजाब सरकार का पक्ष: सुरक्षा तैनाती का कारण
पंजाब सरकार ने पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि नांगल बांध पर पुलिस तैनाती सुरक्षा कारणों से की गई थी। सरकार ने दावा किया कि भारत-पाकिस्तान तनाव, विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल के आतंकी हमले के बाद, बांध की सुरक्षा सुनिश्चित करना जरूरी हो गया था। पंजाब सरकार के वकील ने कोर्ट में एक ईमेल प्रस्तुत किया, जिसमें कहा गया कि पड़ोसी देश (पाकिस्तान) के साथ बढ़ते तनाव के कारण यह कदम उठाया गया।
हालांकि, BBMB के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश गर्ग, ने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार ने BBMB को ऐसी किसी सुरक्षा चिंता या तैनाती के लिए कोई परामर्श नहीं दिया था। उन्होंने तर्क दिया कि पंजाब सरकार का यह कदम अनुचित और BBMB के वैधानिक कार्यों में हस्तक्षेप है।
BBMB की याचिका: पंजाब का कदम “अवैध”
BBMB ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया कि पंजाब सरकार ने पुलिस बल का उपयोग करके नांगल बांध और लोहंड कंट्रोल रूम के जल विनियमन कार्यालय को “जबरन” अपने कब्जे में ले लिया। BBMB के अनुसार, यह कदम:
असंवैधानिक और अवैध है, क्योंकि यह पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के तहत बोर्ड की स्वायत्तता का उल्लंघन करता है।
राष्ट्रीय महत्व के कार्यों में हस्तक्षेप करता है, क्योंकि BBMB पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, और हिमाचल प्रदेश के बीच जल वितरण का प्रबंधन करता है।
आपदा का खतरा पैदा कर सकता है, क्योंकि पुलिस बल के पास बांध संचालन की तकनीकी विशेषज्ञता नहीं है।
BBMB ने कोर्ट से मांग की कि पंजाब सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह पुलिस बल को तुरंत हटाए और बांध के संचालन में हस्तक्षेप बंद करे। बोर्ड ने यह भी कहा कि बांध की सुरक्षा के लिए पहले से ही पैरामिलिट्री फोर्स तैनात है, और अतिरिक्त पुलिस तैनाती अनावश्यक है।
हाई कोर्ट में सुनवाई: अगली तारीख 7 मई
मामले की सुनवाई जस्टिस शील नागू और जस्टिस सुमीत गोयल की डिवीजन बेंच के समक्ष हुई। कोर्ट ने BBMB की याचिका के साथ-साथ दो जनहित याचिकाओं (PIL) पर विचार किया, जो निम्नलिखित द्वारा दायर की गई थीं:
वकील रविंदर सिंह ढुल, जिन्होंने पंजाब पुलिस की तैनाती को “असंवैधानिक” और जल वितरण में बाधा बताया।
हरियाणा के फतेहाबाद की एक ग्राम पंचायत, जिसने हरियाणा के जल अधिकारों की रक्षा की मांग की।
कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 7 मई 2025 को दोपहर 3 बजे निर्धारित की और पंजाब सरकार को इस मामले पर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने सभी पक्षों से विस्तृत दलीलें पेश करने को कहा।
हरियाणा और पंजाब की दलीलें
हरियाणा का पक्ष
हरियाणा के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि:
हरियाणा के सात जिलों में पानी की गंभीर कमी है, और 2700 जल कार्य सूख गए हैं।
BBMB ने हरियाणा को 8,500 क्यूसेक पानी (जिसमें 7,000 क्यूसेक हरियाणा, 1,000 क्यूसेक दिल्ली, और 500 क्यूसेक राजस्थान के लिए) देने का फैसला किया था, जो पंजाब ने रोक दिया।
पंजाब का दावा कि हरियाणा ने अपने कोटे का 104% पानी उपयोग कर लिया, चयनात्मक आंकड़ों पर आधारित है। पूरे वर्ष के आंकड़ों के अनुसार, पंजाब ने अपने हिस्से से 9.3% अधिक पानी लिया, जबकि हरियाणा ने 0.198% कम लिया।
हरियाणा की जल संसाधन मंत्री श्रुति चौधरी ने कहा कि अगर विवाद हल नहीं हुआ, तो हरियाणा सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगा।
पंजाब का पक्ष
पंजाब के वकील ने कोर्ट में निम्नलिखित दलीलें दीं:
पंजाब 4,000 क्यूसेक पानी हरियाणा को मानवीय आधार पर पहले ही दे रहा है, जो हरियाणा की पीने की पानी की जरूरत (1,700 क्यूसेक) से अधिक है।
हरियाणा का अतिरिक्त पानी की मांग धान की बुवाई के लिए है, न कि पीने के लिए।
23 अप्रैल की BBMB बैठक के एजेंडे में स्पष्ट था कि हरियाणा और राजस्थान अपने कोटे का पानी उपयोग कर चुके हैं।
पंजाब अपने जल साझा करने की प्रतिबद्धता से पीछे नहीं हट रहा, लेकिन वह 8,500 क्यूसेक की मांग को स्वीकार नहीं करेगा, क्योंकि यह पंजाब के हिस्से से पानी लेने की कोशिश है।
हरियाणा अपने हिस्से के पानी का प्रबंधन करने में विफल रहा है।
पंजाब के जल संसाधन मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश कर BBMB के फैसले को अवैध और BJP की कठपुतली वाला बताया। उन्होंने 1981 के जल साझा समझौते को अप्रासंगिक बताया, क्योंकि पानी की उपलब्धता कम हो गई है, और एक नए समझौते की मांग की।
जल विवाद का पृष्ठभूमि संदर्भ
भाखड़ा-नांगल बांध सतलुज नदी पर स्थित है, जिसमें भाखड़ा बांध (हिमाचल प्रदेश) और नांगल बांध (पंजाब, 13 किमी नीचे) शामिल हैं। BBMB, जो 1966 में पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के तहत स्थापित हुआ, इन बांधों से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, और हिमाचल प्रदेश को पानी और बिजली वितरित करता है।
1981 का समझौता: रावी-ब्यास के पानी का बंटवारा किया गया, जिसमें पंजाब को 4.22 MAF, हरियाणा को 3.50 MAF, और राजस्थान को 8.60 MAF आवंटित हुआ।
वर्तमान विवाद: BBMB ने 23 अप्रैल को हरियाणा को 8,500 क्यूसेक पानी देने का फैसला किया, जिसमें से 4,000 क्यूसेक पहले से दिया जा रहा था। पंजाब का दावा है कि हरियाणा ने सितंबर 2024-मार्च 2025 के लिए अपने कोटे का 104% पानी उपयोग कर लिया है, जबकि पंजाब ने केवल 89% उपयोग किया।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस फैसले को “पंजाब के अधिकारों की लूट” बताया और कहा कि BBMB को पंजाब को “आदेश देने का अधिकार नहीं” है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि BJP शासित राज्य (हरियाणा, राजस्थान) और केंद्र सरकार मिलकर पंजाब के पानी को हड़पने की साजिश कर रहे हैं।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
पंजाब में एकजुटता: पंजाब में AAP, कांग्रेस, अकाली दल, BJP, और BSP सहित सभी दलों ने BBMB के फैसले का विरोध किया। पंजाब BJP प्रमुख सुनील जाखड़ ने कहा, “पंजाब के पास एक बूंद अतिरिक्त पानी नहीं है।”
हरियाणा का विरोध: हरियाणा के CM नायब सिंह सैनी ने पंजाब के कदम को असंवैधानिक बताया। कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुडा और भूपेंद्र हुडाने भी पंजाब के पानी में कटौती को अस्वीकार्य बताया।
सोशल मीडिया पर तनाव: X पर पोस्ट्स में पंजाब पुलिस की तैनाती को लेकर दोनों राज्यों के नेताओं और समर्थकों के बीच तीखी बहस देखी गई।
कानूनी और राजनीतिक गतिरोध
पंजाब सरकार ने नांगल बांध पर पुलिस तैनाती को भारत-पाकिस्तान तनाव से जोड़ा, लेकिन BBMB और हरियाणा ने इसे जल वितरण में बाधा और असंवैधानिक कदम बताया। पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में 7 मई को होने वाली सुनवाई इस मामले में महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि कोर्ट पंजाब सरकार के हलफनामे और सभी पक्षों की दलीलों पर विचार करेगा। यह विवाद न केवल पंजाब और हरियाणा के बीच जल साझा करने की पुरानी समस्या को उजागर करता है, बल्कि केंद्र-राज्य संबंधों और BBMB की स्वायत्तता पर भी सवाल उठाता है।