चंडीगढ़: हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर सियासी हलकों में चर्चाएं तेज हैं। पार्टी के बड़े फैसले अक्सर चौंकाने वाले होते हैं, और इस बार भी दिल्ली से आने वाला फरमान सबको हैरान कर सकता है। सूत्रों की मानें तो मोहन लाल बड़ौली का दूसरी बार प्रदेश अध्यक्ष बनना लगभग तय है, हालांकि कुछ अन्य नेताओं के नामों पर भी मंथन चल रहा है।
बड़ौली क्यों हैं रेस में आगे?
2024 के विधानसभा चुनाव में BJP ने हरियाणा में 48 सीटें जीतकर तीसरी बार सत्ता हासिल की। इस जीत में मुख्यमंत्री नायब सैनी और मोहन लाल बड़ौली की जोड़ी ने अहम भूमिका निभाई। बड़ौली के नेतृत्व में पार्टी ने 51% ब्राह्मण वोट हासिल किए, जो हरियाणा में 12% आबादी वाले इस समुदाय का बड़ा समर्थन दर्शाता है।
- ब्राह्मण वोटों का झुकाव: BJP ने ब्राह्मणों को 9 टिकट दिए, जिससे इस समुदाय का भरोसा पार्टी की ओर बढ़ा।
- संगठन में पकड़: बड़ौली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े रहे हैं और राई से विधायक हैं। उनकी लो-प्रोफाइल छवि और कार्यकर्ताओं में लोकप्रियता उन्हें मजबूत दावेदार बनाती है।
- क्लीन चिट: सोलन में एक महिला के यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद बड़ौली की राह में रुकावट की आशंका थी, लेकिन पुलिस की क्लीन चिट ने उनके रास्ते साफ कर दिए।
संघ की राय होगी अहम
BJP के फैसलों में RSS की राय हमेशा मायने रखती है। विधानसभा चुनाव में संघ ने BJP की जीत के लिए जोर लगाया था। बड़ौली का संघ से पुराना नाता और नायब सैनी के साथ उनका भरोसेमंद रिश्ता उन्हें फ्रंटरनर बनाता है।
क्या कोई नया चेहरा?
हरियाणा BJP में अक्सर नए चेहरों को मौका मिलता है। मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नायब सैनी को CM बनाने का फैसला इसका उदाहरण है। कुछ नेता जाट, पंजाबी, या OBC समुदाय से किसी नए चेहरे पर दांव लगाने की बात कर रहे हैं। निर्दलीय राज्यसभा सांसद कार्तिकेय शर्मा और वरिष्ठ नेता विनोद शर्मा ने भी ब्राह्मण वोटों को BJP से जोड़ने में मदद की, जिससे उनके नाम भी चर्चा में हैं।
BJP की रणनीति
हरियाणा में सत्ता के लिए ब्राह्मण, वैश्य, दलित, पंजाबी, और OBC समुदायों का साथ जरूरी है। बड़ौली के नेतृत्व ने संगठन में नई ऊर्जा भरी, और नायब सैनी के आत्मविश्वास ने पार्टी को हैट्रिक दिलाई। अब अगले कुछ दिनों में साफ हो जाएगा कि BJP का अगला प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा।
पहले कौन रहे अध्यक्ष?
हरियाणा BJP के इतिहास में कमला वर्मा पहली अध्यक्ष थीं। इसके बाद रामबिलास शर्मा (2 बार), सुभाष बराला (सबसे लंबे समय तक), और नायब सैनी जैसे नेता इस पद पर रहे। अब 15वां अध्यक्ष कौन होगा, इसका इंतजार है।