Haryana Railway News: भारतीय रेलवे इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ने जा रहा है। देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन जल्द ही जींद-सोनीपत रूट पर पटरी पर दौड़ेगी। उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक अशोक वर्मा ने 22 अप्रैल 2025 को जींद रेलवे स्टेशन और निर्माणाधीन हाइड्रोजन गैस प्लांट का दौरा कर इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि जुलाई 2025 तक हाइड्रोजन प्लांट पूरी तरह तैयार हो जाएगा, और इसके बाद 89 किलोमीटर लंबे जींद-सोनीपत रूट पर ट्रेन का ट्रायल रन शुरू होगा। यह ट्रेन चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में बनाई गई है और इसे जून 2025 तक जींद पहुंचाने की योजना है। यह कदम हरित ऊर्जा और शून्य उत्सर्जन की दिशा में भारत का सबसे बड़ा प्रयोग है, जिससे भारतीय रेलवे को 2030 तक कार्बन न्यूट्रल बनाने का लक्ष्य मजबूत होगा।
जींद में हाइड्रोजन प्लांट: अंतिम चरण में निर्माण
जींद में बन रहा हाइड्रोजन गैस प्लांट देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन के लिए ईंधन का मुख्य स्रोत होगा। 1 मेगावाट पॉलीमर इलेक्ट्रोलाइट मेम्ब्रेन (PEM) इलेक्ट्रोलाइजर तकनीक पर आधारित यह प्लांट जुलाई 2025 तक चालू हो जाएगा। अशोक वर्मा ने बताया कि प्लांट का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है, और इसे बनाने वाली कंपनी जर्मनी की TUV-SUD से सुरक्षा ऑडिट करा चुकी है। प्लांट की लागत ₹70 करोड़ है, और यह हरियाणाके मजबूत रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर के कारण जींद में स्थापित किया गया है। प्लांट तैयार होते ही हाइड्रोजन उत्पादन शुरू होगा, जो ट्रेन के संचालन के लिए जरूरी है।
देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन: खासियतें
हाइड्रोजन ट्रेन भारतीय रेलवे का मेक इन इंडिया का शानदार नमूना है। इसे 1200 हॉर्सपावर का इंजन बनाता है, जो दुनिया की सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन ट्रेन है। इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं:
शून्य उत्सर्जन: यह ट्रेन हाइड्रोजन फ्यूल सेल से चलती है, जो केवल पानी का उत्सर्जन करती है, जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता।
यात्री क्षमता: एक ट्रेन में 2638 यात्रियों की क्षमता है।
अधिकतम गति: 110 किमी/घंटा की रफ्तार से चलने में सक्षम।
लागत: प्रति ट्रेन की लागत ₹80 करोड़ है, और 10 रेक की कुल लागत ₹118.24 करोड़ है।
तकनीक: डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (DEMU) को हाइड्रोजन फ्यूल सेल आधारित डिस्ट्रीब्यूटेड पावर रोलिंग स्टॉक में बदला गया है।
ट्रेन का निर्माण ICF चेन्नई में पूरा हो चुका है, और यह कम्युनिकेशन-बेस्ड ट्रेन कंट्रोल (CBTC) सिग्नलिंग सिस्टम से लैस है, जो उच्च सुरक्षा और सटीकता सुनिश्चित करता है। जून 2025 में ट्रेन के जींद पहुंचने की उम्मीद है, और जुलाई 2025 से ट्रायल शुरू होगा। सफल ट्रायल के बाद इसे अगस्त 2025 तक आम जनता के लिए शुरू किया जाएगा।
ट्रायल में देरी: क्या थी वजह?
पहले इस ट्रेन का ट्रायल 31 मार्च 2025 को शुरू होने वाला था, लेकिन हाइड्रोजन प्लांट में पानी की आपूर्ति, सुरक्षा चिंताओं, और इन्फ्रास्ट्रक्चर कमियों के कारण इसे स्थगित कर दिया गया। रेलवे बोर्ड ने निरीक्षण के बाद इन कमियों को दूर करने के निर्देश दिए, और अब जुलाई 2025 को नई तारीख तय की गई है। अशोक वर्मा ने आश्वासन दिया कि सभी मुद्दों को हल कर लिया गया है, और अब कोई देरी नहीं होगी।
जींद रेलवे स्टेशन पर विकास कार्य
अशोक वर्मा ने जींद रेलवे स्टेशन के निरीक्षण के दौरान कई विकास कार्यों की घोषणा की:
वाशिंग लाइन विस्तार: वर्तमान में 17 कोच की वाशिंग लाइन को 23 कोच तक बढ़ाया जाएगा। इसके लिए संसाधन जुटाने के निर्देश दिए गए हैं।
फुट ओवरब्रिज: प्लेटफार्म 1 और 2 को जोड़ने वाला फुट ओवरब्रिज का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है, जो अगस्त 2025 तक पूरा होगा। वर्मा ने कहा कि लोको साइड पर विस्तार की फिलहाल जरूरत नहीं है, क्योंकि स्टेशन पर केवल दो प्लेटफार्म हैं।
स्टेशन जीर्णोद्धार: जींद जंक्शन का नवीनीकरण सितंबर 2025 तक पूरा होगा, जिससे यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।
वर्मा ने स्टेशन पर स्वच्छता, यात्री सुविधाओं, और सुरक्षा पर जोर देते हुए अधिकारियों को नियमित निगरानी के निर्देश दिए।
रेलवे कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान
निरीक्षण के दौरान अशोक वर्मा ने रेलवे कर्मचारियों की समस्याएं सुनीं और त्वरित समाधान का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, “रेलवे का विकास केवल ट्रेनों और स्टेशनों तक सीमित नहीं है। कर्मचारियों की सुविधाएं और कार्यस्थितियां हमारी प्राथमिकता हैं।” कर्मचारियों ने आवास, वेतन विसंगतियों, और कार्यस्थल सुरक्षा से जुड़े मुद्दे उठाए, जिनके लिए वर्मा ने उत्तर रेलवे के अधिकारियों को तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए।
हाइड्रोजन ट्रेन: पर्यावरण और आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम
हाइड्रोजन ट्रेन भारतीय रेलवे की हरित ऊर्जा पहल का हिस्सा है। यह डीजल और इलेक्ट्रिक ट्रेनों का पर्यावरण-अनुकूल विकल्प है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “हाइड्रोजन ट्रेन भारत को 2030 तक कार्बन न्यूट्रल बनाने की दिशा में मील का पत्थर है।” जींद में हाइड्रोजन प्लांट और ट्रेन का संचालन आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी बड़ा कदम है, क्योंकि यह स्वदेशी तकनीक और मेक इन इंडिया का परिणाम है।
सोशल मीडिया पर भी इस प्रोजेक्ट को लेकर उत्साह है। X पर एक यूजर ने लिखा, “जींद-सोनीपत रूट पर हाइड्रोजन ट्रेन भारत को ग्लोबल ग्रीन ट्रांसपोर्ट का लीडर बनाएगा।” (@RailFanHR) एक अन्य पोस्ट में कहा गया, “हरियाणा का जींद इतिहास रचेगा। हाइड्रोजन ट्रेन पर्यावरण और तकनीक का शानदार मिश्रण है।” (@HaryanaKesari)
हरियाणा के लिए गौरव का पल
जींद-सोनीपत रूट को इस ट्रायल के लिए चुना गया, क्योंकि हरियाणा का रेलवे नेटवर्क मजबूत है और यह क्षेत्र दिल्ली-NCR के करीब है। हरियाणा सरकार ने भी इस प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण और बिजली-पानी की व्यवस्था में सहयोग किया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा, “हरियाणा ग्रीन टेक्नोलॉजी का हब बनेगा। यह ट्रेन हमारे पर्यावरण और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए फायदेमंद है।”
यात्रियों और स्थानीय लोगों के लिए सलाह
ट्रायल रन अपडेट्स: ट्रायल रन की तारीख और समय के लिए उत्तर रेलवे की वेबसाइट (https://nr.indianrailways.gov.in) और X हैंडल (@RailwayNorthern) फॉलो करें।
यात्रा की योजना: ट्रायल के दौरान जींद-सोनीपत रूट पर कुछ ट्रेनों के समय में बदलाव हो सकता है। IRCTC ऐप या 139 हेल्पलाइन से जानकारी लें।
स्थानीय सहयोग: जींद के निवासियों से अनुरोध है कि वे प्लांट और रेलवे स्टेशन के आसपास सुरक्षा नियमों का पालन करें।
जींद में हाइड्रोजन ट्रेन और हाइड्रोजन प्लांट का निर्माण भारत के सतत विकास और तकनीकी उन्नति का प्रतीक है। यह प्रोजेक्ट न केवल हरियाणा, बल्कि पूरे देश के लिए गौरव का विषय है। ताजा अपडेट्स के लिए भारतीय रेलवे और हरियाणा सरकार के आधिकारिक चैनल्स पर नजर रखें।