चंडीगढ़: भाखड़ा नांगल बांध से पंजाब की ओर नहरों में पानी छोड़ दिया गया है। यह पानी सिरसा और फतेहाबाद में पेयजल सप्लाई के लिए शनिवार (26 अप्रैल) तक पहुंचेगा। भाखड़ा बांध से पानी छोड़ने के 40 घंटे बाद यह इन जिलों तक पहुंचता है। हालांकि, किसान इस पानी का खेती के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे, क्योंकि यह केवल पेयजल के लिए है।
भाखड़ा नांगल बांध से पेयजल संकट से राहत
- स्थिति: सिरसा और आसपास के गांवों के जलघर सूख चुके हैं। शहर में पानी की भारी किल्लत है।
- समाधान: इस पानी से जलघरों में पर्याप्त भंडारण हो सकेगा, जिससे लोगों को पेयजल की परेशानी से राहत मिलेगी।
- वर्तमान: अभी ज्यादातर जलघरों में पानी कम है या बिल्कुल नहीं। ट्यूबवेल और भूजल से सप्लाई दी जा रही है, जिससे स्वास्थ्य जोखिम बढ़ रहा है।
नहरबंदी और गंदगी की समस्या
- नहरबंदी: लंबे समय से नहरें बंद हैं, जिससे सिरसा और फतेहाबाद में पानी की किल्लत बढ़ गई।
- सफाई की कमी: सिरसा के रानियां क्षेत्र में पंजुआना नहर सहित कई नहरों की सफाई नहीं हुई। नहरों में जमा गंदगी और खड़ा पानी जलघरोंतक पहुंच सकता है, जिससे पेयजल की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
- प्रदर्शन: सिरसा में पानी की कमी के चलते कई जगह लोग सड़कों पर उतरे और प्रदर्शन किए।
पानी की कमी का कारण
- कम सप्लाई: इस बार नंगल डैम से हरियाणा को कम पानी मिला। सिरसा की किसी भी नहर में पहले पानी नहीं छोड़ा गया।
- वैकल्पिक व्यवस्था: सरकार ने नरवाणा ब्रांच के जरिए पानी को सिरसा की नहरों में डायवर्ट करने का फैसला लिया।
सरकारी प्रयास
- बैठक: गुरुवार को चंडीगढ़ में सिंचाई विभाग और पंजाब के अधिकारियों की बैठक हुई। इसमें एक सप्ताह के लिए पेयजल के लिए पानी छोड़ने पर सहमति बनी।
- उद्देश्य: जलघरों में पानी का भंडारण सुनिश्चित करना और पेयजल संकट को कम करना।
चुनौतियां
- गंदा पानी: नहरों की सफाई न होने से गंदगी जलघरों तक पहुंच सकती है, जिससे पेयजल दूषित होने का खतरा है।
- लंबी नहरबंदी: नहरबंदी लंबे समय तक जारी रहने की संभावना है, जिससे खेती के लिए पानी की समस्या बनी रहेगी।
- ट्यूबवेल पर निर्भरता: जलघरों में पानी खत्म होने के बाद लोग टैंकर या ट्यूबवेल पर निर्भर हैं, जो महंगा और जोखिम भरा है।