पंजाब और हरियाणा के बीच पानी का विवाद एक बार फिर गरमा गया है। भाखड़ा डैम से पानी के बंटवारे को लेकर दोनों राज्यों के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने स्पष्ट कर दिया है कि पंजाब अब हरियाणा को अतिरिक्त पानी नहीं देगा। इस मुद्दे पर पंजाब में सर्वदलीय बैठक हुई, जिसमें सभी दलों ने एकजुट होकर राज्य सरकार का समर्थन किया।
विवाद की जड़ क्या है?
विवाद की शुरुआत तब हुई जब हरियाणा ने 23 अप्रैल को भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) की बैठक में भाखड़ा डैम से 8,500 क्यूसेक पानीकी मांग रखी। फिलहाल हरियाणा को 4,000 क्यूसेक पानी मिल रहा है, लेकिन हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि हिसार, सिरसा और फतेहाबाद में पीने के पानी का गंभीर संकट है। दूसरी ओर, पंजाब ने कहा कि कम बर्फबारी के कारण डैमों में पानी की कमी है और उनके खुद के खेतों को भी पानी की जरूरत है।
राजनीतिक हलचल तेज
पंजाब सरकार ने 5 मई को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है ताकि इस मुद्दे पर प्रस्ताव लाया जा सके। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आरोप लगाया कि प्रशासनिक स्तर पर पंजाब के अधिकारों को कमजोर करने की कोशिश हो रही है। उन्होंने बीबीएमबी में पंजाब कैडर के डायरेक्टर को हटाकर हरियाणा कैडर के अधिकारी संजीव कुमार की नियुक्ति का विरोध किया। पंजाब ने भाखड़ा डैम पर ताला लगाकर सख्त रुख अपनाया और कहा कि “हम एक बूंद भी पानी नहीं देंगे।”
केंद्र की भूमिका
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के निर्देश पर बीबीएमबी ने फैसला किया कि हरियाणा को तुरंत 8,500 क्यूसेक पानी दिया जाए। पंजाब ने इस फैसले को पक्षपात करार दिया और बीबीएमबी की निष्पक्षता पर सवाल उठाए। पंजाब का दावा है कि हरियाणा पहले ही अपने कोटे से ज्यादा पानी ले चुका है।
कौन-कौन हुआ शामिल?
पंजाब बीजेपी: सुनील जाखड़
अकाली दल: दलजीत चीमा
कांग्रेस: तृप्त राजिंदर बाजवा
हरियाणा: नायब सिंह सैनी, मनोहर लाल खट्टर, दीपेन्द्र हुड्डा
भाखड़ा डैम का महत्व
भाखड़ा और नंगल डैम केवल बांध नहीं हैं, ये पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के लिए जीवनरेखा हैं। बीबीएमबी इनसे जुड़े पानी और बिजली का वितरण करता है। लेकिन जब पानी कम हो, तो वितरण में विवाद होना स्वाभाविक है।
क्या है आगे की राह?
यह विवाद अब कानूनी और राजनीतिक दोनों रास्तों पर बढ़ता दिखाई दे रहा है। पंजाब ने केंद्र को चुनौती दी है और कहा है कि वह हर मंच पर अपने अधिकारों की रक्षा करेगा। दूसरी ओर, हरियाणा का कहना है कि यह उसके नागरिकों के जीवन और स्वास्थ्य का सवाल है।
भाखड़ा डैम का विवाद पानी की कमी से ज्यादा राजनीतिक रणनीति बनता जा रहा है। सवाल यही है कि इस विवाद में समाधान कब मिलेगा और आम जनता को कब राहत मिलेगी।
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