सिंधु जल समझौते के रद्द होने के बाद हरियाणा में सतलुज-ब्यास-रावी समेत छह नदियों का पानी लाने की तैयारी

भारत सरकार द्वारा सिंधु जल समझौते को रद्द करने और पाकिस्तान की ओर पानी का प्रवाह रोकने के फैसले के बाद अब हरियाणा में सतलुज, रावी, ब्यास, सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का पानी लाने की योजना पर काम शुरू हो गया है। इस ...

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सिंधु जल समझौते

भारत सरकार द्वारा सिंधु जल समझौते को रद्द करने और पाकिस्तान की ओर पानी का प्रवाह रोकने के फैसले के बाद अब हरियाणा में सतलुज, रावी, ब्यास, सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का पानी लाने की योजना पर काम शुरू हो गया है। इस पानी को हिमाचल प्रदेश के शिमला और नाहन के रास्ते हरियाणा के यमुनानगर स्थित सरस्वती नदी में लाने की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।

शुरुआत में 50 से 100 क्यूसिक पानी लाने की योजना

प्रारंभ में 50 से 100 क्यूसिक पानी सरस्वती नदी में लाने की संभावना तलाशी जा रही है। यदि यह योजना सफल रही, तो धीरे-धीरे पानी की मात्रा भी बढ़ाई जा सकती है। इससे हरियाणा को न केवल अपेक्षित पानी मिलेगा, बल्कि पंजाब पर निर्भरता भी खत्म होगी।

धार्मिक महत्व और किसानों को मिलेगा लाभ

हरियाणा सरकार का सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड इस योजना के तहत सरस्वती नदी के उद्गम स्थल आदिबद्री तक पानी पहुंचाने के लिए इसरो और रिमोट सेंसिंग एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहा है। जयपुर स्थित बिरला रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी सेंटर में इस संबंध में एक महत्वपूर्ण बैठक भी निर्धारित की गई है।

योजना के अनुसार, आदिबद्री से लेकर कुरुक्षेत्र, कैथल, फतेहाबाद और सिरसा तक सरस्वती नदी में बहाव बढ़ाया जाएगा। इससे न केवल कृषि को सीधा लाभ मिलेगा, बल्कि सरस्वती नदी का धार्मिक महत्व भी और अधिक बढ़ेगा।

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत का बड़ा कदम

हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान को बड़ा झटका देते हुए सिंधु जल समझौते को समाप्त कर दिया। इससे पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री रहते हुए मनोहर लाल खट्टर ने भी हिमाचल के रास्ते सतलुज यमुना लिंक नहर (SYL) के जरिए पानी लाने की योजना की वकालत की थी। अब परिस्थितियां अनुकूल होने पर सरकार इस दिशा में गंभीरता से कदम बढ़ा रही है।

सरस्वती नदी में 12 महीने बह सकेगा पानी

सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धूमन सिंह किरमिच ने जानकारी दी कि हरियाणा स्पेस सेंटर और केंद्रीय जल आयोग के विशेषज्ञों से बातचीत के बाद यह तय किया गया है कि सतलुज और अन्य नदियों का पानी सोलन, बिलासपुर, नाहन के रास्ते टौंस नदी के माध्यम से सरस्वती में लाया जा सकता है।

इस पानी के जरिए सरस्वती नदी में पूरे 12 महीने बहाव बना रहेगा। देहरादून का वाडिया इंस्टीट्यूट इस परियोजना के तकनीकी पहलुओं में मदद कर रहा है। आदिबद्री में डैम और बैराज का निर्माण कार्य भी तेजी से जारी है ताकि पानी के प्रवाह को सुचारू रूप से नियंत्रित किया जा सके।

हरियाणा, पंजाब और राजस्थान को भी मिलेगा लाभ

धूमन सिंह ने बताया कि पंजाब द्वारा हरियाणा को उसका पानी नहीं देने की स्थिति में अब केंद्र सरकार सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज नदियों के पानी का नया बंटवारा कर सकती है। इससे हरियाणा के साथ-साथ पंजाब और राजस्थान को भी पानी का लाभ मिलेगा।

आदिबद्री में डैम और बिलासपुर के छिलोर गांव में बन रही 350 एकड़ की विशाल झील इस योजना का अहम हिस्सा हैं। पूरी परियोजना के तैयार होते ही रिपोर्ट हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को सौंपी जाएगी, ताकि केंद्र सरकार के साथ औपचारिक बातचीत शुरू की जा सके।


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कावेरी "द न्यूज़ रिपेयर" की एक समर्पित और खोजी पत्रकार हैं, जो जमीनी हकीकत को सामने लाने के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी में सामाजिक सरोकार, जनहित और निष्पक्ष रिपोर्टिंग की झलक मिलती है। कावेरी का उद्देश्य है—सच्ची खबरों के ज़रिए समाज में बदलाव लाना और उन आवाज़ों को मंच देना जो अक्सर अनसुनी रह जाती हैं। पत्रकारिता में उनकी पैनी नजर और निष्पक्ष दृष्टिकोण "द न्यूज़ रिपेयर" को विश्वसनीयता की नई ऊँचाइयों तक ले जा रहे हैं।

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