पंजाब-हरियाणा में फिर पानी पर तकरार! पंजाब ने हरियाणा का पानी घटाया, 14 जिलों में संकट

चंडीगढ़: पानी को लेकर एक बार फिर पंजाब-हरियाणा के बीच तकरार शुरू हो गई है। मामला भाखड़ा नहर से मिलने वाले पानी का है। पंजाब सरकार ने करीब 15 दिन पहले हरियाणा को मिलने वाले 9500 क्यूसेक पानी को घटाकर सिर्फ 4000 क्यूसेक कर ...

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पंजाब-हरियाणा में फिर पानी पर तकरार

चंडीगढ़: पानी को लेकर एक बार फिर पंजाब-हरियाणा के बीच तकरार शुरू हो गई है। मामला भाखड़ा नहर से मिलने वाले पानी का है। पंजाब सरकार ने करीब 15 दिन पहले हरियाणा को मिलने वाले 9500 क्यूसेक पानी को घटाकर सिर्फ 4000 क्यूसेक कर दिया है। अब इसका असर हरियाणा के 14 जिलों में साफ नजर आने लगा है।

पंजाब बोला – पहले ही खा चुका है सारा पानी!

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मंगलवार को कहा कि हरियाणा ने अपने हिस्से का पानी दो महीने पहले ही खत्म कर दिया है। अब पंजाब के पास किसी को देने के लिए एक बूंद पानी भी फालतू नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा दबाव बना रही है कि पंजाब जबरन हरियाणा को ज्यादा पानी दे। मगर ऐसा नहीं होगा।

भगवंत मान बोले – “भाजपा पंजाब के पानी पर डाका डालना चाहती है। ये हम कभी नहीं होने देंगे।”

हरियाणा बोला – ये सही नहीं, केंद्र करेगा फैसला

वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पंजाब के इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि ये फैसला अन्यायपूर्ण और अनुबंध के खिलाफ है। हरियाणा सरकार ने इस मसले को लेकर केंद्र सरकार से बातचीत शुरू कर दी है।

पानी का गणित क्या है?

पंजाब का कहना है कि हर साल पानी का हिसाब 21 मई से अगले साल 21 मई तक का तय होता है। इसमें हरियाणा और राजस्थान को मिलने वाले पानी का कोटा फिक्स होता है। लेकिन इस बार हरियाणा ने सीजन से पहले ही कोटा खत्म कर लिया, इसलिए अब एक्स्ट्रा पानी देना संभव नहीं।

14 जिलों पर संकट गहराया

हरियाणा के 14 जिलों में अब खेती, पीने और उद्योगों के लिए पानी की सप्लाई प्रभावित हो रही है। आने वाले हफ्तों में संकट और गहरा सकता है।

 

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कावेरी "द न्यूज़ रिपेयर" की एक समर्पित और खोजी पत्रकार हैं, जो जमीनी हकीकत को सामने लाने के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी में सामाजिक सरोकार, जनहित और निष्पक्ष रिपोर्टिंग की झलक मिलती है। कावेरी का उद्देश्य है—सच्ची खबरों के ज़रिए समाज में बदलाव लाना और उन आवाज़ों को मंच देना जो अक्सर अनसुनी रह जाती हैं। पत्रकारिता में उनकी पैनी नजर और निष्पक्ष दृष्टिकोण "द न्यूज़ रिपेयर" को विश्वसनीयता की नई ऊँचाइयों तक ले जा रहे हैं।

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