नई दिल्ली: भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने 2025 के मानसून सीजन को लेकर राहत भरी खबर दी है। विभाग के मुताबिक इस बार जून से सितंबर तक मानसून सामान्य से बेहतर रहेगा। IMD ने बताया है कि इस साल मानसून सीजन में 105% बारिश होने का अनुमान है, जो औसत से अधिक मानी जाती है।
105% मानसून का मतलब क्या है?
IMD प्रमुख मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि इस साल जून से सितंबर तक औसतन 87 सेंटीमीटर (868.6 मिमी) बारिश हो सकती है। गौरतलब है कि लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) को साल 2022 में अपडेट किया गया था, जिसके अनुसार 87 सेंटीमीटर बारिश को सामान्य माना जाता है। IMD 104% से 110% तक की बारिश को सामान्य से अधिक श्रेणी में रखता है।
किन राज्यों में होगी ज्यादा बारिश?
IMD के पूर्वानुमान के अनुसार, इस बार जिन राज्यों में सामान्य से अधिक बारिश हो सकती है, वे हैं:
मध्य प्रदेश
राजस्थान
महाराष्ट्र
ओडिशा
छत्तीसगढ़
उत्तर प्रदेश
पश्चिम बंगाल
मराठवाड़ा और इससे सटे तेलंगाना क्षेत्र
कम बारिश से जूझ सकते हैं ये राज्य
वहीं कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां इस बार सामान्य से कम बारिश हो सकती है:
बिहार
जम्मू-कश्मीर
लद्दाख
तमिलनाडु
पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ हिस्से
मानसून की टाइमिंग
हर साल की तरह इस बार भी मानसून के 1 जून के आसपास केरल पहुंचने की संभावना है। इसके बाद यह धीरे-धीरे पूरे देश में फैलता है और सितंबर के अंत तक राजस्थान के रास्ते लौटता है। ज्यादातर राज्यों में मानसून 15 से 25 जून के बीच दस्तक देता है।
बढ़ेगी हीटवेव, बिजली और पानी पर दबाव
IMD प्रमुख ने यह भी कहा कि इस साल अल नीनो की स्थिति नहीं बनेगी, जो मानसून के लिए सकारात्मक संकेत है। हालांकि अप्रैल से जून के बीच हीटवेव के दिनों में बढ़ोतरी होगी। इससे बिजली की मांग बढ़ेगी और जलस्रोतों पर दबाव पड़ेगा।
मानसून क्यों है इतना जरूरी?
भारत की करीब 52% खेती मानसून पर निर्भर करती है। देश में सालभर की कुल बारिश का 70% हिस्सा सिर्फ मानसून सीजन में ही होता है। 70 से 80% किसान सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर हैं। ऐसे में अच्छा मानसून फसल उत्पादन, महंगाई नियंत्रण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने वाला साबित होता है।
अल नीनो क्या है?
अल नीनो एक समुद्री जलवायु पैटर्न है, जिसमें समुद्र सतह का तापमान 3 से 4 डिग्री तक बढ़ जाता है। यह आमतौर पर हर 10 साल में दो बार प्रभावी होता है। अल नीनो के कारण भारत में अक्सर मानसून कमजोर हो जाता है और सूखे की स्थिति बनती है।
आर्थिक प्रभाव: खेती से आमदनी बढ़ेगी
भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी लगभग 20% है और देश की आधी आबादी इसी पर निर्भर है। अच्छा मानसून फसलों की पैदावार बढ़ाता है, जिससे किसानों की आय में बढ़ोतरी होती है। यह फेस्टिव सीजन में ग्रामीण इलाकों की खपत क्षमता को बढ़ाकर इकोनॉमी को गति देता है।
IMD और स्काईमेट के पिछले अनुमान कितने सटीक रहे?
पिछले 5 वर्षों (2020-2024) में IMD और निजी मौसम एजेंसी स्काईमेट द्वारा दिए गए पूर्वानुमानों में भिन्नता रही।
2024: IMD ने 106%, स्काईमेट ने 102% बारिश का अनुमान जताया, जबकि हकीकत में 108% बारिश हुई।
2023: स्काईमेट का 94% का अनुमान बिल्कुल सटीक रहा, IMD का अनुमान 2% कम था।
2021: IMD का अनुमान 98% और वास्तविक बारिश 99% रही।
2020 व 2022: दोनों एजेंसियों के अनुमान वास्तविक बारिश से भिन्न रहे।
इस साल का मानसून किसानों और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए खुशखबरी लेकर आ सकता है। जहां एक ओर फसलों की अच्छी पैदावार की उम्मीद है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्र की खरीदारी क्षमता में बढ़ोतरी से बाजार को भी रफ्तार मिलने की संभावना है।