IAS Success Story 2025: देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक UPSC को पास करना हर किसी के बस की बात नहीं होती, लेकिन कुछ लोग हालातों को चुनौती देकर इतिहास रच देते हैं। आज हम बात कर रहे हैं उम्मुल खेर की, जिन्होंने विकलांगता, गरीबी और संघर्ष के बीच UPSC परीक्षा पास कर मिसाल कायम की।
बचपन से झेला संघर्ष:
उम्मुल खेर जन्म से ही बोन फ्रेजाइल डिजीज से पीड़ित थीं, जिसके चलते उनकी हड्डियां बेहद कमजोर थीं। बचपन से ही उन्होंने गंभीर बीमारी, आर्थिक तंगी और पारिवारिक विद्रोह का सामना किया। बावजूद इसके, उम्मुल ने हार नहीं मानी और पढ़ाई में पूरा ध्यान दिया।
झुग्गी झोपड़ी में बीता बचपन:
बेहतर जिंदगी की तलाश में उम्मुल के पिता उन्हें लेकर दिल्ली आ गए थे। यहां निजामुद्दीन इलाके की झुग्गी झोपड़ी में उनका परिवार रहा। कम आय और खराब हालातों के बीच भी उम्मुल ने पढ़ाई नहीं छोड़ी। 2001 में झुग्गियों को उजाड़े जाने के बाद उनका परिवार बेघर भी हो गया था।
16 फ्रैक्चर और 8 सर्जरी के बावजूद नहीं टूटी हिम्मत:
बोन फ्रेजाइल बीमारी के चलते उम्मुल को अब तक 16 फ्रैक्चर और 8 सर्जरी का सामना करना पड़ा है। बावजूद इसके, उन्होंने अपनी पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने दी। 2014 में उम्मुल का चयन जापान के इंटरनेशनल लीडरशिप ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए हुआ था। वह इस प्रोग्राम में चुनी गई भारत की केवल चौथी प्रतिभागी थीं।
पहले प्रयास में UPSC परीक्षा पास कर बनीं IAS अफसर:
एमफिल और JRF क्लियर करने के बाद उम्मुल ने UPSC की तैयारी जारी रखी। पहले ही प्रयास में उन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए 420वीं रैंकहासिल की और IAS बनने का सपना पूरा किया। आज उम्मुल खेर देशभर में संघर्ष और सफलता की मिसाल बन चुकी हैं।
उम्मुल खेर की कहानी हमें यह सिखाती है कि कठिनाइयाँ चाहे जितनी भी बड़ी क्यों न हों, अगर जज्बा मजबूत हो तो कोई भी मंजिल दूर नहीं।