नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए बीजेपी सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। दिल्ली की सीमाओं और टोल प्लाजा पर स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (ANPR) कैमरे स्थापित करने की योजना बनाई गई है, ताकि 10 साल से पुरानी डीजल और 15 साल से पुरानी पेट्रोल गाड़ियों को शहर में प्रवेश करते ही पकड़ा जा सके।
यह कदम दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण को कम करने की दिशा में सरकार की नई रणनीति का हिस्सा है। पर्यावरण मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा ने कहा, “हमारा मुख्य लक्ष्य दिल्ली की हवा को स्वच्छ करना है। पुरानी गाड़ियां प्रदूषण का बड़ा कारण हैं, और इन्हें रोकने के लिए हम आधुनिक तकनीक का सहारा ले रहे हैं।”
पुरानी गाड़ियों पर पहले से है बैन
दिल्ली-एनसीआर में 10 साल से पुरानी डीजल और 15 साल से पुरानी पेट्रोल/सीएनजी गाड़ियों की सड़कों पर चलने पर पहले से ही प्रतिबंध है, जो नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर आधारित है। सितंबर 2024 तक दिल्ली में ऐसी 59 लाख गाड़ियां डी-रजिस्टर्ड हो चुकी हैं, जिनमें ज्यादातर दोपहिया वाहन हैं। बावजूद इसके, कई पुरानी गाड़ियां अवैध रूप से दिल्ली की सड़कों पर दौड़ रही हैं, जो वायु प्रदूषण को बढ़ा रही हैं। सरकार ने अब इन गाड़ियों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने का फैसला किया है।
ANPR कैमरे कैसे करेंगे काम?
स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (ANPR) कैमरे दिल्ली की सीमाओं, टोल प्लाजा और प्रमुख सड़क मार्गों पर लगाए जाएंगे। ये कैमरे निम्नलिखित तरीके से काम करेंगे:
नंबर प्लेट स्कैनिंग: कैमरे वाहनों की नंबर प्लेट को स्कैन करेंगे और इसे mParivahan डेटाबेस या वाहन पोर्टल से मिलान करेंगे।
रियल-टाइम अलर्ट: यदि कोई पुरानी गाड़ी (10 साल से पुरानी डीजल या 15 साल से पुरानी पेट्रोल) पकड़ी जाती है, तो सिस्टम तुरंत उसे डिफॉल्टर के रूप में चिह्नित करेगा।
SMS नोटिफिकेशन: वाहन मालिक को तुरंत मोबाइल पर मैसेज भेजा जाएगा, जिसमें उन्हें दिल्ली में प्रवेश न करने की चेतावनी दी जाएगी।
परिवर्तनीय साइन बोर्ड: सीमाओं पर लगे डिजिटल साइन बोर्ड ऐसी गाड़ियों की संख्या प्रदर्शित करेंगे और उन्हें वापस लौटने का निर्देश देंगे।
पेट्रोल पंपों पर पहले से ANPR सिस्टम
दिल्ली में वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए पहले ही 370 पेट्रोल पंपों और 100 से अधिक सीएनजी स्टेशनों पर ANPR कैमरे लगाए जा चुके हैं। 1 अप्रैल 2025 से लागू नियम के तहत इन स्टेशनों पर पुरानी गाड़ियों को ईंधन देने से मना किया जा रहा है। अब सरकार इस तकनीक को दिल्ली की सीमाओं और टोल प्लाजा तक विस्तार दे रही है ताकि बाहरी राज्यों से आने वाली गाड़ियों पर भी नजर रखी जा सके।
पुरानी गाड़ियों को जब्त करने की तैयारी
दिल्ली सरकार ने साफ किया है कि अगर कोई पुरानी गाड़ी शहर की सड़कों पर पकड़ी गई, तो उसे तुरंत जब्त कर लिया जाएगा। इसके लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा रहे हैं:
डेटा संग्रह: सरकार पड़ोसी राज्यों (हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान) में रजिस्टर्ड पुरानी गाड़ियों का डेटा इकट्ठा कर रही है। इनके मालिकों को पहले से मैसेज भेजकर सूचित किया जाएगा कि उनकी गाड़ियों को दिल्ली में प्रवेश की अनुमति नहीं है।
चालान और जुर्माना: ANPR कैमरे के जरिए पकड़ी गई गाड़ियों के मालिकों को चालान जारी किया जाएगा।
जब्ती: दिल्ली-एनसीआर में ऐसी गाड़ियां चलते पाए जाने पर उन्हें तुरंत इंपाउंड किया जाएगा। जब्त गाड़ी को छुड़ाने के लिए मालिक को अन्य राज्य में रजिस्ट्रेशन के लिए एनओसी लेनी होगी या उसे निजी स्थान पर पार्क करना होगा।
दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति
दिल्ली की हवा सर्दियों में खतरनाक स्तर तक पहुंच जाती है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) अक्सर 400 से ऊपर चला जाता है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की एक स्टडी के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर में 66% प्रदूषण स्थानीय स्रोतों से आता है, जिसमें वाहन उत्सर्जन का हिस्सा 50% से अधिक है। पुरानी गाड़ियां, खासकर BS-III और BS-IV मानकों वाली, ज्यादा प्रदूषण फैलाती हैं। सरकार का मानना है कि इन गाड़ियों पर सख्ती से AQI में सुधार होगा।
अन्य प्रदूषण नियंत्रण उपाय
पुरानी गाड़ियों पर रोक के अलावा, दिल्ली बीजेपी सरकार ने वायु प्रदूषण कम करने के लिए कई अन्य कदम उठाए हैं:
हाई-राइज बिल्डिंग्स पर स्मॉग गन: दिल्ली की 3,000-4,000 हाई-राइज इमारतों, मॉल्स, और सरकारी भवनों पर स्मॉग गन लगाना अनिवार्य किया गया है।
इलेक्ट्रिक वाहन प्रोत्साहन: दिल्ली को इलेक्ट्रिक वाहन (EV) हब बनाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट को EV पर शिफ्ट किया जा रहा है।
क्लाउड सीडिंग: प्रदूषण के गंभीर स्तर पर कृत्रिम बारिश के लिए क्लाउड सीडिंग की अनुमति लेने की योजना।
ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP): AQI बढ़ने पर BS-III पेट्रोल और BS-IV डीजल वाहनों पर रोक लगाई जाती है।
विशेषज्ञों की राय
पर्यावरण विशेषज्ञों ने इस कदम की सराहना की है। CSE की निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी ने कहा, “पुरानी गाड़ियों को हटाना और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना प्रदूषण नियंत्रण के लिए जरूरी है। साथ ही, रिमोट सेंसिंग और ऑन-रोड उत्सर्जन जांच से इस नीति को और प्रभावी बनाया जा सकता है।” हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि पड़ोसी राज्यों में समान नियम लागू न होने से दिल्ली की कोशिशें कमजोर हो सकती हैं।
जनता और उद्योग की प्रतिक्रिया
दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष निश्चल सिंघानिया ने कहा, “ANPR सिस्टम पहले से ही पेट्रोल पंपों पर PUC चेक के लिए काम कर रहा है। इसे पुरानी गाड़ियों के लिए इस्तेमाल करना आसान होगा।” सोशल मीडिया पर भी लोग इस कदम की तारीफ कर रहे हैं। X पर एक यूजर ने लिखा, “दिल्ली सरकार का ANPR कैमरा प्लान गेम-चेंजर है। पुरानी गाड़ियां हटेंगी तो हवा साफ होगी।”
चुनौतियां और भविष्य की योजना
इस योजना की कुछ चुनौतियां भी हैं:
डेटा एकीकरण: पड़ोसी राज्यों के वाहन डेटा को एकीकृत करना मुश्किल हो सकता है।
जागरूकता: ग्रामीण क्षेत्रों के वाहन मालिकों तक जानकारी पहुंचाना चुनौतीपूर्ण है।
इंफ्रास्ट्रक्चर: सभी टोल प्लाजा और सीमाओं पर ANPR कैमरे लगाने में समय और लागत लगेगी।
सरकार ने कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) से इस योजना के लिए औपचारिक मंजूरी मांगी है। अगले कुछ महीनों में सभी ANPR कैमरे चालू होने की उम्मीद है।