International Tiger Day : दुनिया में बस 13 देशों में ही बचे है बाघ, जानिए भारत में कितने बचे है टाइगर

घटती बाघों की संख्या से चिचिंत एक बाघ अपने भविष्य के बारे में सोचता हुआ. तस्वीर-सोशल मीडिया भारतीय मार्केट में Mini Cooper S लॉन्च, जानें कीमत और फीचर्स नई दिल्ली: आज विश्व बाघ दिवस (International Tiger Day) है. हालांकि बाघ फिलहाल 13 देशों में ही ...

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Tiger In India
घटती बाघों की संख्या से चिचिंत एक बाघ अपने भविष्य के बारे में सोचता हुआ. तस्वीर-सोशल मीडिया



नई दिल्ली: आज विश्व बाघ दिवस (International Tiger Day) है. हालांकि बाघ फिलहाल 13 देशों में ही बचे है. एक सदी पहले, दुनियाभर भर में करीब एक लाख बाघ (Tiger) जंगलों पर राज करते थे. लेकिन 2022 आते-आते केवल 13 देशों में बाघों की संख्या चार हजार से भी कम हो गई.

International Tiger Day क्या है इतिहास 

वर्ल्ड टाइगर डे की शुरुआत साल 2010 से हुई जब इसे रूस में सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समिट में मान्यता दी गई थी. सभी इस बात से हैरान थे जब एक रिपोर्ट से पता चला कि सभी बाघों में से 97 फ़ीसदी गायब हो गए है, वैश्विक परिदृश्य में सिर्फ 3,900 बाघ ही जीवित हैं.

अब बस इतने ही टाइगर बचे हैं

फिलहाल दुनियाभर में साढ़े चार हजार बाघ हैं जिनमें से 2,967 भारत में पाए जाते हैं. प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2015 में बाघों की संख्या 3200 हो गई थी और 2022 में इनकी संख्या 4500 है.

कितने प्रकार के बाघ हैं

बाघ अलगअलग रंगों के होते हैं जैसे सफेद बाघ, काली धारियों वाला सफेद बाघ, काली धारियों वाला भूरा बाघ और गोल्डन टाइगर और उन्हें चलते हुए देखना एक अद्भुत नजारा हो सकता है. अब तक बाली टाइगर, कैस्पियन टाइगर, जावन टाइगर और टाइगर हाइब्रिड ऐसी प्रजातियां हैं जो विलुप्त हो चुकी हैं

अब बस 13 देशों में ही बचे हैं बाघ

वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक अनुमान के अनुसार कुछ ही सालों में बाघों की संख्या 95 प्रतिशत घट गई है. अब इनकी आबादी 13 देशों तक सीमित है जिनमें भारत, बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, लाओ पीडीआर, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, रूस, थाईलैंड और वियतनाम शामिल है.

बाघों की संख्या इस वजह से हो रही है कम

इस समय मनुष्य प्रकृति का सबसे बड़ा दुश्मन है. ये कहना भी ग़लत नहीं होगी की इंसानों ने अपनी सुख-सुविधा के लिए जानवरों को हमेशा से बली का बकरा बनाया है. वनों की कटाई, अवैध शिकार, इनके रहने वाले जंगलों में कमी, जेनेटिक जाइवर्सिटी, गलती से रिहायशी इलाकों में घुसने से मारा जाना, टाइगर टूरिज्म, नाकाम प्रोजेक्ट और ग्लोबल वार्मिंग समेत ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से बाघों की संख्या घट रही है

हर साल 29 जुलाई को इन लोगों में जागरुकता बढ़ाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस या वैश्विक बाघ दिवस मनाया जाता है


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कावेरी "द न्यूज़ रिपेयर" की एक समर्पित और खोजी पत्रकार हैं, जो जमीनी हकीकत को सामने लाने के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी में सामाजिक सरोकार, जनहित और निष्पक्ष रिपोर्टिंग की झलक मिलती है। कावेरी का उद्देश्य है—सच्ची खबरों के ज़रिए समाज में बदलाव लाना और उन आवाज़ों को मंच देना जो अक्सर अनसुनी रह जाती हैं। पत्रकारिता में उनकी पैनी नजर और निष्पक्ष दृष्टिकोण "द न्यूज़ रिपेयर" को विश्वसनीयता की नई ऊँचाइयों तक ले जा रहे हैं।

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