मुंबई. भारत के बंटवारे के समय ऐसे कई मुस्लिम परिवार थें जिन्होंने भारत छोड़ पाकिस्तान को अपना वतन माना था. लेकिन ऐसे भी कई मुस्लिम थें जिन्होंने भारत को पाकिस्तान के ऊपर समझा. इन्हीं में से एक परिवार शाहरुख खान का भी था. बॉलीवुड के बादशाह खान के पिता ताज मोहम्मद खान उस वक्त कांग्रेस के लीडर थे. वह खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के पेशवार में रहा करते थे. उनका यकीन जिन्ना के पाकिस्तान में बिल्कुल नहीं था और उन्होंने पाकिस्तान महात्मा गांधी के सेकुलर भारत भरोसे पर छोड़ दिया था और दिल्ली आ गएं.
शाहरुख ने कई बार यह बात कही है कि उनके पिता एक कांग्रेस कार्यकर्ता थें और उन्होंने बंटवारे का सीधा विरोध किया था. वह इस बात के बिल्कुल ही खिलाफ थें कि धर्म के लिए दूसरा देश बनाया जाए. इसलिए उन्होंने फैसला लिया कि वह अपने पूरे परिवार के साथ दिल्ली चले जाएंगे. शाहरुख के पिता का निधन कैंसर की वजह से 1981 में हो गया था. बादशाह खान को अपने पिता के विरासत पर काफी गर्व है.
दिलीप कुमार के परिवार में भी कुछ ऐसी ही स्थिति आई थी. बंटवारे से पहले मुंबई आए दिलीप कुमार के पिता गुलाम सरवर खान से पेशावर स्थित उनके परिजनों ने कहा कि वे वापस लौट जाएं. इस पर दिलीप कुमार के पिता ने कहा था कि भारत हमारा घर है और अब हम बॉम्बे नहीं छोड़ेंगे. दिलीप कुमार ने अपने ऑटोबायोग्राफी में भी इसके बारे में बताया है. 1947 में दिलीप कुमार एक नए और पॉपुलर सितारे थे. इस साल दिलीप कुमार की फिल्म ‘ज्वार भाटा’ रिलीज हुई थी.
शाहरुख और दिलीप कुमार की तरह ही अलावा गीतकार और शायर साहिर लुधियानवी भी ऐसे सितारे हैं, जिसने भारत को पाकिस्तान से ज्यादा बेहतर समझा. अभी की बात करें तो अदनान सामी ऐसे सिंगर हैं, जिन्होंने पाकिस्तान छोड़ भारत की तरफ रुख मोड़ लिया है.