संजीव त्रिवेदी, नई दिल्ली : हर भारतीयों कि लिए गर्व की खबर है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एकबार फिर भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया गया. दरअसल भारत ने सोमवार यानी 4 जनवरी को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ( UNSC) में एक गैर-स्थायी सदस्य के रूप में अपने दो साल के कार्यकाल का आगाज किया. इस मौके पर न्यू यॉर्क सिटी के संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में खास कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस समारोह के दौरान भारत का तिरंगा न्यू यॉर्क सिटी के संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में फहराने लगा.
इस मौके पर संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी.एस. तिरुमूर्ति ने कहा, यह मेरे देश के लिए और मेरे प्रतिनिधिमंडल के लिए गर्व का क्षण है. उन्होंने कहा कि भारत सुरक्षा परिषद में मानवता के छठे हिस्से का प्रतिनिधित्व करने वाले सबसे बड़ा लोकतंत्र है. भारत बहुपक्षवाद, कानून का शासन, एक निष्पक्ष और न्यायसंगत अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली और शांति, सुरक्षा और विकास के लिए प्रतिबद्ध है. कश्मीर से कन्याकुमारी तक हम लोकतंत्र, बहुलवाद और मौलिक अधिकारों के प्रति प्रतिबद्धता को लेकर एक साथ खड़े हैं. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले साल यूएनजीए में दिए गए भाषण का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, भारत विकासशील देशों के लिए एक आवाज बनेगा.
दरअसल सुरक्षा परिषद् का अध्यक्ष हर सदस्य एक महीने के लिए बनता है, जो देशों के अंग्रेजी वर्णमाला के नाम के अनुसार तय किया जाता है. झंडा लगाने की परंपरा की शुरुआत कजाकिस्तान ने 2018 में शुरू की थी. भारत 1 जनवरी 2021 से 31 दिसंबर 2022 तक सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य होगा. भारत की वैश्विक मंच पर लगातार भूमिका बढ़ रही है, इससे भारत की ताकत में भी इजाफा होगा.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बतौर अस्थायी सदस्य भारत का दो साल का कार्यकाल ऐसे समय में शुरू हो रहा है जब वैश्विक मंच पर अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा, शांति स्थापना समेत कई चुनौतियां खड़ी हैं. साथ ही दुनियाभर के लोग कोरोना महामारी के कारण अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में व्यापक सुधारों की मांग तेज हो रही है.
आपको बता दें कि भारत अगस्त 2021 में और फिर 2022 में यूएनएससी की अध्यक्षता करेगा. यूएनएससी की अध्यक्षता प्रत्येक सदस्य द्वारा एक महीने के लिए की जाती है. भारत के अलावा आयरलैंड, केन्या, मैक्सिको और नॉर्वे गैर-स्थायी सदस्य के रूप में यूएनएससी में शामिल हुए. ये देश अस्थायी सदस्यों इस्टोनिया, नाइजर, सेंट विंसेंट और ग्रेनाडा, ट्यूनिशिया, वियतनाम तथा पांच स्थायी सदस्यों चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका के साथ इस परिषद् का हिस्सा होंगे.