मनीष कुमार, नई दिल्ली : कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के 44वां दिन कल सरकार और किसान प्रतिनिधियों के बीच 9वें दौर की बैठक होगी. ये बैठक दोपहर 2 बजे विज्ञान भवन में होगी. उम्मीद जताई जा रही है कि इस बैठक में दोनों पक्षों के बीच कुछ न कुछ सहमति जरूर बनेगी.
इससे पहले 4 जनवरी को सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच 4 अप्रैल को आठवें दौर की बैठक हुई थी. हालांकि उस बैठक में भी दोनों पक्षों के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई थी. किसान जहां अभी भी तीनों कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हैं, वहीं सरकार भी कानूनों को वापस लेने के लिए तैयार नहीं है. हालांकि सरकार किसान प्रतिनिधियों के सुझाव पर इसमें कुछ सुधार के लिए सहमत नजर आ रही है.
आठवें दौर की बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि ‘मुझे उम्मीद है कि हमारी अगली बैठक के दौरान हम एक सार्थक चर्चा करेंगे और हम एक निष्कर्ष पर पहुंचेंगे. साथ ही कृषि मंत्री ने कहा, हम चाहते थे कि किसान यूनियनें तीन कानूनों पर चर्चा करें. किसान यूनियन कानूनों के निरस्त की अपनी मांगों पर अड़े रहे.
वहीं किसान संगठनों का कहना है कि हमें तीनों कानूनों को निरस्त करने के अलावे कुछ भी मंजूर नहीं है और न ही हम इसके अलावे किसी अन्य मुद्दे पर चर्चा करना चाहते हैं. जबतक कानूनों को निरस्त नहीं किया जाता हमारा विरोध जारी रहेगा. साथ ही इन लोगों का कहना है कि ‘जब तक तीनों कानूनों को वापस नहीं लिए जाते, तब तक हम घर वापस नहीं जाएंगे.’ किसान संगठन कृषि कानूनों को रद करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देने की मांग से नीचे आने को तैयार नहीं हैं.
इस बीच 9वें दौर की बैठक से पहले सरकार पर दवाब बढ़ाने के लिए किसानों ने आज ट्रैक्टर रैली निकाला. साथ ही उन लोगों का कहना है कि ये टैक्टर रैली 26 जनवरी की परेड का रिहर्सल है.
आपको बता दें कि भीषण शीतलहर के बीच 26 नवंबर से बड़ी तादाद में किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर डेरा डाले हुए हैं. पिछले दिनों दिल्ली में लगातार हुई बारिश ने बॉर्डर पर डेरा डाले अन्नदाताओं की पीड़ा बढ़ा दी. इन सबके बीच मसले का कोई हल न होता देख किसानों में धीरे-धीरे आक्रोश बढ़ता जा रहा है.