सीकर. राजस्थान के सीकर जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. हर किसी के जबान पर बस एक ही बात है, बेटे के मौत का गम इतना बड़ा होता है क्या? क्या दो जवान लड़कियों के साथ जिंदगी को जिया नहीं जा सकता था?
जिस बेटी के हाथों पर मेहंदी देख माता-पिता की खुशियां चार गुनी हो सकती थीं उसी के हाथ पर मेहंदी से ही आखिरी मैसेज लिखा था. बेटियां भी भाई की मौत के गम को सह न सकीं. जिसने भी वो मैसेज देखा फूट-फूटकर रोया. पूरे इलाके में गम और मातम का माहौल है.
एक ही परिवार की जलती 4 चिताओं ने सभी को ये सोचने पर विवश कर दिया है कि आखिर वो क्या बात थी जिससे पूरे परिवार ने इतना बड़ा कदम उठा लिया. घर में बची की बुजुर्ग की आंखों के आंसू थम नहीं रहे हैं. अब न ही उसके सामने उसका बेटा है और न ही बहू और पोती. वो बस यही कह रही है कि अपने बेटे के गम में ये क्या कर दिया मेरे बच्चे.
बहन ने मौत से पहले लिखी थी ये बात:
बड़ी बेटी पूजा की डेड बॉडी पड़ी थी. उसकी हांथों में मेहंदी से लिखा था- ‘We are coming Motu’. दोनों बहनें भाई को प्यार से मोटू कहती थीं. उसकी मौत के गम में जैसे-तैसे कुछ महीने काटे. फिर एक दिन खुद मौत को गले लगा लिया.
ये है पूरा मामला:
सीकर में सोमवार को एक चिता पर पति-पत्नी और दूसरी पर दो बेटियों का अंतिम संस्कार किया गया. दरअसल 48 साल के हनुमान प्रसाद, उनकी पत्नी तारा (45), दो बेटियां 24 साल की पूजा MSc फर्स्ट ईयर और 22 साल की चीकू BSc सेकंड ईयर की छात्रा था. इनका इकलौता बेटा अमर सबकी आंखों का तारा था. बीते 27 सितंबर 2020 को अमर को अचानक हार्ट अटैक आया और उसकी मौत हो गई. इसके बाद से परिवार सदमे में चला गया. कोई समझाने भी आता तो वे उनसे मिलना नहीं चाहते थे.
सुसाइड के लिए की तैयारी:
घर में एक साथ सुसाइड के लिए कोई रॉड नहीं थी. तब हनुमान प्रसाद ने लोहे का गार्डर खरीदा और उसे बाकायदा दीवारों में ज्वाइंट कराया. हनुमान के छोटे भाई के लड़ने ने पूछा कि इसका क्या होगा. हनुमान ने कहा कि इसपर चार घंटियां लटकानी है. किसे पता था हनुमान किस घंटी की बात कर रहे थे. परिवार के सभी लोग घर में रहते थे. बस हनुमान नौकरी पर जाते थे. कोई पूछता था तो कहते थे कि ठीक हूं नौकरी पर जा रहा हूं. वे सरकारी स्कूल में फोर्थ क्लास कर्मचारी थे.
सुसाइड नोट में लिखी ये बात:
हनुमान के घर से जो सुसाइड नोट मिला है उसमें उन्होंने बेटे की मौत के गम में सुसाइड करना स्वीकार किया है. उनका कहना है कि वे स्वेच्छ से मौत को गले लगा रहे हैं क्योंकि बेटे के बिना जीना बेकार है. बेटे के बगैर जीने की बहुत कोशिश की पर उसके बगैर जीया नहीं जाता. अमर ही जिंदगी था. वो नहीं है तो उसके बिना जीकर क्या करेंगे.