के जे श्रीवत्सन, जयपुर : राजस्थान में कांग्रेस ने किसान आन्दोलन को समर्थन देने को लेकर बड़े स्तर पर अभियान चलना शुरू कर दिया है. इसके तहत जहां कांग्रेस के छात्र संघटन NSUI द्वारा किसान आन्दोलन को समर्थन देने के मकसद से जयपुर से दिल्ली तक साईकल यात्रा निकाली गयी वहीं मंगलवार से सत्तारूढ़ कांग्रेस के सभी विधायक और बड़े नेता गांव ढाणियों के जाकर तीनों कृषि कानूनों के नुकसान के बारे में जनता को बताएंगे. वैसे सीएम अशोक गहलोत के नेतृत्व में 24 घंटे पहले ही कांग्रेस विधायक दल ने धरना प्रदर्शन करके संकेत दे दिए की अब वह भी इस आर-पार की लडाई में बड़ी भूमिका निभाएगी लेकिन आन्दोलन स्थल से दूर रहकर जनता के बीच में.
यूं तो कांग्रेस शुरू से ही किसानों की मांगों के समर्थन में केंद्र के खिलाफ आक्रमक रही है लेकिन अब उसने अभी सभी अग्रिम संघटनों को भी इसमें बढ़ चड़कर भाग लेने को कह दिया है. इसी के तहत जयपुर से NSUI के बैनर तले सेकड़ों छात्र साईकल पर दिल्ली के लिए निकले, इनमें से जायदातर छात्र किसान परिवारों से थे. जिन्हें खास तौर पर यहां बुलाया गया था. हर छात्र के मुंह से किसानों के समर्थन में नारे निकल रहे थे. बाकायदा अपने अपने गृहों से सभी साईकल लेकर पूरी तैयारी के साथ दिल्ली कूच के लिए आये थे.
इन छात्रों में जोश भरने के लिए राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के कई मंत्री मौजूद थे. पीसीसी अध्यक्ष और शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा, उच्चशिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी और परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के साथ-साथ कई विधायकों ने हरी झंडी दिखाकर इन छात्रों की साईकल रैली को रवाना किया जो की राजस्थान- हरियाणा के शाहजहांपुर बोर्डर पहले जायेंगे और वहां पर पिछले कई दिनों से धरना-प्रदर्शन कर रहे किसानों को जाकर अपना समर्थन देंगे.
इन लोगों ने वहां से आगे दिल्ली करने की भी चेतावनी दी है. खुद पीसीसी अध्यक्ष गोविन्द डोटासरा की माने तो ये तो शुरुआत है. अभी मंगलवार से सभी मंत्री और विधायकों द्वारा गांव ढाणियों में जाकर लोगों को इस आन्दोलन के समर्थन में जोड़ने के लिए पुरे एक हफ्ते तक बड़ा अभियान शुरू होगा.
जाहिर है की अब राजस्थान कांग्रेस ने उसे हाल ही के पंचायत चुनावों में मिली बड़ी हार के बाद किसानों के आन्दोलन को बड़े स्तर पर आगे बढाने का फैसला कर लिया है ताकि इसके जरिये फिर से ग्रामीण इलाकों में अपने पैर जमा सके. साथ ही यह संकेत भी भेजने की कोशिश होगी की भले ही किसानों के इस आन्दोलन में राजनितिक दलों के नेताओं को मंच पर बैठने की इजाजत नहीं है लेकिन उनका समर्थन इस आन्दोलन को पूरा है.