टीएनआर, New Delhi
गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली में हुई हिंसा के लिए पंजाबी कलाकार दीप सिद्धू पर आरोप लगाए जा रहे हैं. किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान लोगों को भड़काने का आरोप लगने के बाद एक्टर और कथित सोशल एक्टिविस्ट दीप सिद्धू ने सामने आकर सफाई दी है. उन्होंने दावा किया है कि 26 जनवरी को परेड निकलने से एक रात पहले ही संयुक्त किसान मोर्चे के मंच से नौजवानों ने जोश और होश में इस बात पर रोष भी प्रकट किया कि हम दिल्ली के अंदर जाएंगे, ना की सरकार और पुलिस द्वारा दिए गए रूट पर.
इस बात को अनदेखा किया गया. उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चे ने लोगों की असली भावनाओं को अनदेखा किया. उन्होंने यह भी कहा कि परेड में सुबह उनके संगठन के दो बड़े नेताओं के ट्रैक्टर जत्थे के आगे थे तो कि दीप सिद्धू अकेला लाखों लोगों को कैसे भड़का गया?
दीप सिद्धू ने एक वीडियो मैसेज के जरिये सफाई देते हुए कहा, ‘मेरे खिलाफ संघर्ष कर रहे सभी लोग प्रचार कर रहे हैं कि दीप ने इस आंदोलन को खराब किया, लोगों को भड़काया. पहली बात तो यह है कि जो वहां पर घटना हुई, कल रात सिक्वेंस ऑफ इवेंट जो मोर्चे की तरफ से हो रहे थे, उनको समझिए. पहले सरवन सिंह पंधेर (किसान मजदूर संघर्ष कमेटी, पंजाब के महासचिव) और सतनाम सिंह पन्नू (किसान मजदूर संघर्ष कमेटी,पंजाब के अध्यक्ष) ने मोर्चे के मंच पर आकर यह बात कही कि हम पुलिसवालों की तरफ से दिए रूट पर मार्च नहीं करेंगे, बल्कि दिल्ली के अंदर जाएंगे. उसके बाद संयुक्त किसान मोर्चे के बीच आम सहमति हुई कि रिंग रोड से जाने वाले रूट को बदलकर पुलिसवालों के दिए रूट पर जाया जाएगा. उसको लेकर भी आप मेरे सभी वीडियो देख लीजिए, उसमें यही बात कही गई है कि एक साझा फैसला लिया जाए.’
उन्होंने आगे कहा, ‘इस वक्त संगत का फैसला कुछ और है और जज्बात कुछ और. सोमवार रात मोर्चे के मंच से नौजवानों ने जोश और होश में इस बात पर रोष भी प्रकट किया कि हम दिल्ली के अंदर जाएंगे, ना की सरकार, पुलिस द्वारा दिए गए रूट पर. इस बात को अनदेखा किया गया. लोगों की असली भावनाओं को अनदेखा किया गया. वहां यही कहा गया कि हम जो कहेंगे, वही करेंगे और संगत को भी वही करना पड़ेगा.’
दीप सिद्धू ने कहा, ‘उसके बाद सुबह परेड में पंधेर और पन्नू के ट्रैक्टर जत्थे के आगे थे. अब आप यह बात सोचें कि कहा जा रहा है कि दीप सिद्धू लोगों को भड़का गया. भला अकेला मैं लाखों लोगों को कैसे भड़का सकता हूं. लाल किले तक पहुंचे लाखों लोगों में दीप सिद्धू भी एक था. यह भी देखा जाए कि जत्थेबंदियों ने जो रूट दिया था, उसमें कितनी संगत गई और संगत से अलग होकर जो रूट बना लिया, उसमें कितने लोग गए. चार मोर्चे, चार जगह बैरिकेड तोड़कर लाल किले तक पहुंचे और उसमें दाखिल हुए. हमने कोई झंडा नहीं लगाया. लोगों ने ही निशान साहब और किसान मजदूर एकता समिति का झंडा वहां लगाया.’
उन्होंने कहा कि ऐसे बड़े संघर्षों में जब हम किसी खास व्यक्ति को जोड़कर देखने लग जाते हैं तो वहीं गलती कर जाते हैं. इस तरह तो 5 से 10 लाख लोग सभी दोषी हो गए. या अकेला दीप सिद्धू ही विलेन हो गया?
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उन्होंने कहा, ‘सारी संगत का फैसला दिल्ली जाने का था. उसके बाद जो जो रास्ता बनता गया, लोग उधर-उधर जाते गए. जब मैं लाल किले पहुंचा, वहां पहले से ही लाखों लोग मौजूद थे. मेरे किसी वीडियो में कोई यह दिखा दे कि अकेला दीप सिद्धू सभी को अकेला ले गया. मैं मोर्चे और किसानों के हित से बड़ा नहीं हूं और किसी को भड़काने नहीं आया. मैंने कोई हिंसा नहीं की, किसी को नहीं भड़काया. ना ही किसी को मारने गया. हम खाली हाथ थे, सिर्फ उनमें झंडे थे. किसी पब्लिक प्रपर्टी और फोर्स को नुकसान नहीं पहुंचाया. मेरे खिलाफ प्रचार किया जा रहा है कि दीप बीजेपी और आरएसएस का बंदा है, इस तरह आप कुछ नहीं समझ सके हैं. हमारी लीडरशिप सरकार की तरह असली भावनाओं को नहीं समझती और अगर समझती को कल रात को सभी के साथ बैठ मीटिंग कर साझा फैसला लिया जाता.’