टीएनआर, New Delhi
भारतीय वायुसेना की ताकत में बड़ा इजाफा हुआ है, क्योंकि फ्रांस से तीन और राफेल लड़ाकू विमान स्वदेश पहुंच गए हैं. तीन नए राफेल विमान फ्रांस से नॉन-स्टॉप उड़ान भरते हुए भारत पहुंचे हैं. इन राफेल विमानों ने लगातार उड़ान भरते हुए 7 हजार किलोमीटर की दूरी तय की और बीच रास्ते हवा में ईंधन भरा. इन विमानों ने फ्रांस के इस्त्रे एयर बेस से उड़ान भरी. इन विमानों को संयुक्त अरब अमीरात ने MRTT द्वारा हवा में ईंधन उपलब्ध कराया. इस संबंध में फ्रांस स्थित भारतीय दूतावास के हवाले से ANI ने जानकारी दी. भारतीय वायुसेना ने राफेल विमानों को बीच रास्ते में टैंकर सपोर्ट देने के लिए यूएई का आभार जताया है.
राफेल विमानों का ये बैच फ्रांस से खरीदे गए राफेल विमानों की डिलिवरी का तीसरा सेट है. भारतीय वायुसेना ने 36 राफेल विमान फ्रांस से 59 हजार करोड़ में सितंबर 2016 में खरीदे. तीन नए विमानों के आने के बाद भारत के पास 11 राफेल विमान हो जाएंगे.
3 राफेल विमानों का दूसरा सेट नवंबर की शुरुआत में गुजरात के जामनगर पहुंचे थे, उसके बाद वे अपने होम बेस अंबाला पहुंचे थे. पांच राफेल विमानों का पहला सेट 29 जुलाई को अंबाला एयर बेस पहुंचा था. इन पांच विमानों को बाद में औपचारिक तौर पर भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था, कार्यक्रम में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल हुए थे. रक्षामंत्री के साथ फ्रांस की रक्षामंत्री फ्लोरेंस, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत और एयर फोर्स चीफ आरकेएस भदौरिया भी शामिल हुए थे.
रूस निर्मित सुखोई-30MKI के जून 1997 में सेना में शामिल होने के बाद राफेल विमान पहले जेट विमान हैं, जिन्हें 23 सालों बाद भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया. ये राफेल विमान फ्रांस से खरीदे गए हैं. राफेल फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन निर्मित दो इंजन वाला मध्यम मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) है. राफेल लड़ाकू विमानों को ‘ओमनिरोल’ विमानों के रूप में रखा गया है, जो कि युद्ध में अहम रोल निभाने में सक्षम हैं. राफेल विमान बखूबी ये सारे काम कर सकता है- जैसे वायु वर्चस्व, हवाई हमला, जमीनी समर्थन, भारी हमला और परमाणु प्रतिरोध.
राफेल भारत का एकमात्र विकल्प नहीं था. कई अंतरराष्ट्रीय विमान निर्माताओं ने भारतीय वायुसेना से पेशकश की थी. बाद में छह बड़ी विमान कंपनियों को छांटा गया. इसमें लॉकहेड मार्टिन का एफ -16, बोइंग एफ/ए-18एस, यूरोफाइटर टाइफून, रूस का मिग-35, स्वीडन की साब की ग्रिपेन और रफाले शामिल थे. सभी विमानों के परीक्षण और उनकी कीमत के आधार पर भारतीय वायुसेना ने यूरोफाइटर और राफेल को शॉर्टलिस्ट किया. डलास ने 126 लड़ाकू विमानों को उपलब्ध कराने के लिए अनुबंध हासिल किया, क्योंकि ये सबसे सस्ता मिल रहा था. कहा गया कि इसका रखरखाव भी आसान है.
The third batch of three Rafale aircraft landed at an IAF base a short while ago. They flew over 7000Km with in-flight refuelling. The aircraft got airborne earlier in the day from #IstresAirBase in France. IAF deeply appreciates the tanker support provided by UAE Air Force. pic.twitter.com/tykLthzVlx
— Indian Air Force (@IAF_MCC) January 27, 2021
अप्रैल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेरिस का दौरा किया. तभी 36 राफेल खरीदने का फैसला किया गया. बाद में एनडीए सरकार ने इस सौदे पर वर्ष 2016 में साइन कर दिए. जब फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांकोइस होलैंड ने जनवरी में भारत का दौरा किया तब राफेल जेट विमानों की खरीद के 7.8 अरब डॉलर के सौदे पर हस्ताक्षर हुए.