हिसार: हरियाणा के हिसार में स्थानीय किसानों ने पंजाब के किसानों के समर्थन में मंगलवार को भूख हड़ताल शुरू कर दी। हिसार लघु सचिवालय के बाहर किसानों का यह अनशन पगड़ी संभाल जट्टा किसान संघर्ष समिति के बैनर तले हो रहा है। इस अनशन में 100 से अधिक किसान शामिल हैं और यह 24 घंटे तक चलेगा। किसान नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने किसानों की मांगों को जल्द नहीं माना, तो देशभर में बड़े स्तर पर आंदोलन होगा।
क्यों शुरू की गई भूख हड़ताल?
हिसार के किसान नेताओं ने बताया कि यह अनशन उन किसानों के समर्थन में है, जो पिछले 10 महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि सरकार उनके दिल्ली जाने के रास्ते रोक रही है और उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही। किसानों के इस समर्थन अभियान का मुख्य उद्देश्य है, आंदोलन में हरियाणा और पंजाब के किसानों के बीच एकता को मजबूत करना।
अनशन की मुख्य बातें
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24 घंटे का अनशन
हिसार में यह अनशन मंगलवार को शुरू हुआ और बुधवार सुबह 10 बजे तक जारी रहेगा। -
नेताओं की रणनीति
बुधवार को किसान कमेटी की चंडीगढ़ में बैठक होगी। बैठक के बाद आंदोलन की आगामी रणनीति तय की जाएगी। -
आरोपों की झड़ी
किसान नेताओं का आरोप है कि सरकार तानाशाही रवैया अपना रही है। आंदोलनकारी किसानों को कमजोर करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं।
किसानों पर बढ़ते दबाव
आंदोलनकारी किसानों का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को अनसुना कर रही है और उन पर दबाव डालने के लिए आंसू गैस, वाटर कैनन और अन्य तरीके इस्तेमाल कर रही है। किसानों ने आरोप लगाया कि हाल ही में बॉर्डर पर शुभकरण की शहादत के बाद भी सरकार ने कोई मानवीय रवैया नहीं दिखाया।
हरियाणा और पंजाब के किसानों में बढ़ती एकता
दिल्ली आंदोलन के शुरुआती दिनों में हरियाणा और पंजाब के किसान संगठनों की एकता मजबूत थी, लेकिन हाल के महीनों में दूरी बढ़ गई। इसे लेकर अब फिर से एकजुट होने की कोशिशें हो रही हैं। भूख हड़ताल भी इसी उद्देश्य से की गई है ताकि हरियाणा और पंजाब के किसान फिर से एक मंच पर आएं।
जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन जारी
पंजाब और हरियाणा के बीच जींद जिले के खनौरी में किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन बुधवार को 23वें दिन में पहुंच गया। डल्लेवाल के समर्थन में भी किसान बड़े पैमाने पर एकत्र हो रहे हैं।
सरकार के साथ बातचीत की संभावना
किसानों ने कहा कि सरकार के साथ बातचीत तभी सफल होगी, जब वह किसानों की मांगों को गंभीरता से सुने। बुधवार की बैठक में इसका परिणाम देखने को मिलेगा।
किसानों के इस आंदोलन ने एक बार फिर से हरियाणा और पंजाब के किसानों को एकजुट करने की कोशिश की है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इन मांगों को लेकर क्या कदम उठाती है और आंदोलन आगे क्या रूप लेता है।
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