𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐃𝐞𝐬𝐤 : MSP खत्म करने का भाजपाई षडयंत्र बेनकाब, धान किसान के रजिस्ट्रेशन में ‘‘आधी से ज्यादा कटौती’’- सुरजेवाला

पिछले साल के मुकाबले 83 लाख टन ‘‘धान खरीद में कटौती’’! किसान आंदोलन की दे रहे हरियाणा-पंजाब को सजा !


By, Ran Singh Chauhan 

हरियाणा, डिजिटल डेक्स || हरियाणा-पंजाब के किसानों - खेत मजदूरों - आढ़तियों - मंडी मजदूरों - राईस मिल मालिकों को भाजपा ‘‘किसान आंदोलन’’ की सजा दे रही है। तीन खेती विरोधी काले कानूनों को आंदोलन कर खत्म करवाने व मोदी सरकार को झुकाने का बदला हरियाणा-पंजाब से लिया जा रहा है। इस षडयंत्रकारी मिलीभगत में हरियाणा व पंजाब की सरकारें शामिल हैं।

भाजपा के इस षडयंत्र के छः पहलू हैं..

* ‘फूड व फर्टिलाईज़र सब्सिडी’’ को ही काट दिया जाए।

* 𝐌𝐒𝐏 पर धान की फसल खरीदी न कर 𝐌𝐒𝐏 को चोर दरवाजे से खत्म कर दिया जाए।

* हरियाणा-पंजाब के किसानों की 𝐌𝐒𝐏 पर धान खरीद के रजिस्ट्रेशन में ही कटौती कर दी जाए।

* हरियाणा-पंजाब की खेती को कम करने के लिए डीएपी-यूरिया खाद उपलब्ध न करवाई जाए।

* मंडी के आढ़ती की रोजी-रोटी पर हमला करो - आढ़ती का कमीशन 𝟐.𝟓 प्रतिशत से काटकर 𝟒𝟔 रुपया क्विंटल कर दो, ताकि धीरे-धीरे काम बंद हो जाए।

* राईस मिलर के व्यवसाय में गतिरोध पैदा करो ताकि वो 𝐌𝐒𝐏 पर खरीदे किसान के धान की खरीद व मिलिंग ही कम मात्रा में करें।

सब्सिडी में कटौती करने का षडयंत्र…

मोदी सरकार ने पिछले पाँच साल में ‘‘सब्सिडी’’, यानी ‘‘फर्टिलाईज़र-फूड-फ्यूल सब्सिडी’’ में ₹𝟑,𝟑𝟎,𝟎𝟎𝟎 करोड़ की भयंकर कटौती कर दी है। साल 𝟐𝟎𝟐𝟎-𝟐𝟏 के बजट में यह सब्सिडी जीडीपी का 𝟑.𝟖 प्रतिशत (सब्सिडी का बजट था ₹𝟕,𝟓𝟖,𝟏𝟔𝟓 करोड़) थी 

तो पाँच साल बाद साल 𝟐𝟎𝟐𝟒-𝟐𝟓 के बजट में यह सब्सिडी कम कर जीडीपी का 𝟏.𝟑 प्रतिशत (सब्सिडी का बजट है ₹𝟒,𝟐𝟖,𝟒𝟐𝟑 करोड़) कर दी गई। अर्थात सब्सिडी में कटौती की गई ₹𝟑,𝟐𝟗,𝟕𝟒𝟐 करोड़। इसका नतीजा स्वाभाविक तौर से खेती और किसान को भुगतना पड़ रहा है।

‘‘फूड सब्सिडी’’ की मार तो और बड़ी है। केवल पिछले 𝟐 साल में ही मोदी सरकार द्वारा ‘‘फूड सब्सिडी’’ में ₹𝟕𝟖,𝟎𝟎𝟎 करोड़ की कटौती कर दी गई। साल 𝟐𝟎𝟐𝟐-𝟐𝟑 में बजट का फूड सब्सिडी पर खर्च था ₹𝟐,𝟖𝟑,𝟕𝟒𝟓 करोड़, जो साल 𝟐𝟎𝟐𝟒-𝟐𝟓 के बजट में कम करके कर दिया गया ₹𝟐,𝟎𝟓,𝟐𝟓𝟎 करोड़। अर्थात ₹𝟕𝟖,𝟒𝟗𝟓 करोड़ की कटौती। इसकी कीमत कौन अदा करेगा - किसान व गरीब मजदूर।

MSP पर फसल खरीदी कम करने का षडयंत्र…

आज 𝟐𝟗 अक्टूबर, 𝟐𝟎𝟐𝟒 तक के हरियाणा-पंजाब से 𝐌𝐒𝐏 खरीद के आँकड़े चौंकाने वाले हैं। यह सारा डेटा भारत सरकार के “𝐂𝐞𝐧𝐭𝐫𝐚𝐥 𝐅𝐨𝐨𝐝 𝐆𝐫𝐚𝐢𝐧𝐬 𝐏𝐫𝐨𝐜𝐮𝐫𝐞𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐏𝐨𝐫𝐭𝐚𝐥” पर उपलब्ध है (𝐰𝐰𝐰.𝐜𝐟𝐩𝐩.𝐧𝐢𝐜.𝐢𝐧)। इसी से षडयंत्र साफ हो जाता है। पिछले साल के मुकाबले, आज तक पंजाब और हरियाणा से 𝟖𝟐,𝟖𝟖,𝟒𝟓𝟎 मीट्रिक टन धान की खरीद कम हुई है।

हरियाणा

हरियाणा में MSP खरीद के लिए रजिस्टर्ड किसानों की संख्या = 4,19,532

29 अक्टूबर तक MSP पर धान बेचने वाले किसानों की संख्या = 1,33,114

जिन किसानों से MSP पर फसल खरीद नहीं हुई, उनकी संख्या = 2,86,418

जब 3 लाख किसानों से MSP पर खरीद ही नहीं हुई, तो षडयंत्र साफ है।


* हरियाणा में पिछले साल धान की खरीद हुई = 58,92,721 मीट्रिक टन

हरियाणा में 𝟐𝟗 अक्टूबर तक धान की खरीद हुई = 𝟑𝟕,𝟐𝟑,𝟑𝟓𝟐 मीट्रिक टन

यानी, 𝟐𝟗 अक्टूबर तक धान की खरीद कम हुई = 𝟐𝟏,𝟔𝟗,𝟑𝟔𝟗 मीट्रिक टन

हरियाणा में धान खरीद 𝟏𝟓 नवंबर को बंद हो जाएगी। 𝟏 नवंबर तक त्योहार का सीज़न है। 𝟏𝟒 दिन में 𝟐𝟐 लाख मीट्रिक टन धान खरीदना असंभव है। नतीजा साफ है, 𝐌𝐒𝐏 पर धान खरीदी होगी ही नहीं।

पंजाब

पंजाब में पिछले साल धान की खरीद हुई = 𝟏,𝟏𝟏,𝟎𝟑,𝟒𝟑𝟒 मीट्रिक टन

पंजाब में 𝟐𝟗 अक्टूबर तक धान की खरीद हुई = 𝟒𝟗,𝟖𝟒,𝟑𝟓𝟑 मीट्रिक टन

यानी, 𝟐𝟗 अक्टूबर तक धान की खरीद कम हुई = 𝟔𝟏,𝟏𝟗,𝟎𝟖𝟏 मीट्रिक टन

यानी पिछले साल के मुकाबले में अब तक आधी खरीद भी नहीं हुई।

* साल 𝟐𝟎𝟐𝟑-𝟐𝟒 पंजाब में 𝐌𝐒𝐏 खरीद के लिए रजिस्टर्ड किसानों की संख्या = 𝟕,𝟗𝟕,𝟔𝟓𝟗

साल 𝟐𝟎𝟐𝟒-𝟐𝟓 पंजाब में 𝐌𝐒𝐏 खरीद के लिए रजिस्टर्ड किसानों की संख्या = 𝟑,𝟐𝟏,𝟖𝟓𝟏

एक साल में ही 𝐌𝐒𝐏 खरीद पर कम हुए रजिस्टर्ड किसानों की संख्या = 𝟒,𝟕𝟓,𝟖𝟎𝟖

𝐌𝐒𝐏 पर धान बेचने वाले किसानों की संख्या 𝟔𝟎 प्रतिशत कम कैसे हो सकती है? यह अपने आप में षडयंत्र को उजागर करता है।

देश के भी यही हालात

साल 𝟐𝟎𝟐𝟑-𝟐𝟒- 𝟏𝟗 प्रांतों में 𝐌𝐒𝐏 पर धान रजिस्टर करने वाले किसानों की संख्या = 𝟏,𝟏𝟏,𝟎𝟑,𝟒𝟑𝟒

साल 𝟐𝟎𝟐𝟒-𝟐𝟓- 𝟏𝟗 प्रांतों में 𝐌𝐒𝐏 पर धान रजिस्टर करने वाले किसानों की संख्या = 𝟓𝟏,𝟐𝟎,𝟒𝟎𝟓

एक साल में ही 𝐌𝐒𝐏 खरीद पर कम हुए रजिस्टर्ड किसानों की संख्या = 𝟓𝟗,𝟖𝟑,𝟎𝟐𝟗


* साल 𝟐𝟎𝟐𝟑-𝟐𝟒- 𝟏𝟗 प्रांतों में धान की खरीद हुई = 𝟕,𝟏𝟗,𝟖𝟗,𝟔𝟕𝟓 मीट्रिक टन।

साल 𝟐𝟎𝟐𝟒-𝟐𝟓- 𝟐𝟗 अक्टूबर तक 𝟏𝟗 प्रांतों में धान की खरीद हुई = 𝟗𝟐,𝟒𝟔,𝟒𝟔𝟑 मीट्रिक टन।

𝟐𝟗 अक्टूबर तक 𝐌𝐒𝐏 पर धान की खरीद कम हुई = 𝟔,𝟐𝟕,𝟒𝟑,𝟐𝟏𝟐 मीट्रिक टन।

𝟏𝟓 दिन में बाकी की खरीद कैसे हो पाएगी।

आढ़तियों व मंडी मजदूरों की रोजी-रोटी खत्म करने का षडयंत्र…

हरियाणा-पंजाब के आढ़तियों की रोजी-रोटी पर सिलसिलेवार हमला बोला जा रहा है ताकि बिहार की तर्ज पर मंडियाँ बंद हो जाएं और किसानों को फसल अडानी जैसी कंपनियों के साईलो पर बेचनी पड़े।

हरियाणा-पंजाब की अनाज मंडियाँ किसान को 𝐌𝐒𝐏 मिलने की गारंटी है। इन मंडियों में लाखें मुनीमों, उठान व लदान करने वाले मंडी मजदूरों, छोटे-छोटे ठेकेदारों, झराई, तुलाई व सफाई करने वाले मजदूरों को भी रोजगार मिलता है। भाजपा सरकार ने एक षडयंत्र के तहत आढ़ती का कमीशन 𝟐.𝟓 प्रतिशत से काटकर 𝟒𝟔 रुपया प्रति क्विंटल कर दिया है।

राईस मिल मालिकों के व्यवसाय में गतिरोध करने का षडयंत्र…

हरियाणा-पंजाब में लगभग 𝟗,𝟎𝟎𝟎 से अधिक राईस मिलर हैं। इनमें से अधिकतर 𝐏𝐃𝐒 राईस मिलिंग का काम करते हैं। भाजपा सरकार व पंजाब-हरियाणा की सरकारों ने अलग-अलग हाईब्रिड किस्म का धान किसान को बिकवाया, विशेषतः पीआर-𝟏𝟐𝟔 किस्म का धान पंजाब सरकार ने बिकवाया। 

भाजपा सरकार के नॉर्म्स के मुताबिक राईस मिलर को पीडीएस का धान 𝟏 क्विंटल पर 𝟔𝟕 प्रतिशत सरकार को देना है। पर राईस मिलर एसोसिएशन के मुताबिक यह 𝟔𝟐 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता। 

मोदी सरकार ने धान के पूरे सीज़न में इसका कोई हल नहीं निकाला व धान की बिक्री के बाद इसकी जाँच बारे एक कमिटी बैठा दी। न रिपोर्ट आई, न गतिरोध समाप्त होगा, और न ही किसान की फसल 𝐌𝐒𝐏 पर खरीदी जाएगी।

MSP पर धान न खरीदने का षडयंत्र…

ऊपर लिखी सारी मुश्किलात के चलते 𝐌𝐒𝐏 पर धान की खरीद हो ही नहीं रही। ₹𝟐𝟑𝟎𝟎 प्रति क्विंटल पीआर धान का 𝐌𝐒𝐏 है, पर किसान को ₹𝟐𝟎𝟎𝟎/₹𝟐𝟏𝟎𝟎 प्रति क्विंटल ही मिल पाया। 𝟏𝟓𝟎𝟗 किस्म के धान में तो ₹𝟔𝟎𝟎/𝟕𝟎𝟎 प्रति क्विंटल का नुकसान है।

हरियाणा में नायब सैनी व भाजपा ने यह कहकर वोट लिया कि 𝟖 अक्टूबर के बाद धान ₹𝟑𝟏𝟎𝟎 प्रति क्विंटल के 𝐌𝐒𝐏 पर खरीदा जाएगा। पर सच यह है कि ₹𝟐𝟏𝟎𝟎 प्रति क्विंटल भी नहीं मिल रहा।


मोदी सरकार व हरियाणा-पंजाब की सरकारें इस किसान - खेत मजदूर - आढ़ती - मंडी मजदूर - राईस मिलर विरोधी षडयंत्र तथा 𝐌𝐒𝐏 खत्म करने की साजिश का जवाब दें।

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