𝐑𝐚𝐝𝐚𝐮𝐫 𝐍𝐞𝐰𝐬 : मेले में झूलों का आनंद पड़ सकता है सुरक्षा पर भारी
झूला संचालक द्वारा नहीं किए गए है सुरक्षा के व्यापक प्रबंध. न हुआ प्रशासनिक निरीक्षण न कोई कार्रवाई, ग्रामीण बोले-होनी चाहिए जांच !
रादौर, डिजिटल डेक्स।। अगर आप जाहरवीर गोगा मेढ़ी मेले में आए है और झूलों का आनंद लेने के लिए झूला परिसर में जा रहे है तो जरा संभलिएं। यहां झूलों का आंनद आपकी सुरक्षा पर भारी पड़ सकता है। ऐसा हम इसलिए कह रहे है क्योंकि यहां सुरक्षा व्यवस्था पर झूला संचालक द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया है। अगर दुर्भाग्य से यहां कोई हादसा होता है तो उससे निपटना आसान नहीं होगा।
तारो से करंट का संकट भी मंडरा रहा
झूला संचालक द्वारा बिजली के करंट से बचने के लिए भी व्यापक प्रबंध नहीं किए गए है। हालांकि झूला परिसर में इस पर कुछ ध्यान जरूर दिया गया है लेकिन बाहरी क्षेत्र की ओर झूलों के पास लगी तारों में लापरवाही बरती गई है। यहां बच्चो के एक झूले के पास पिछली ओर तारे नीचे ही लगाई गई है। जिसका स्वीच व तारो के जोड़ भी वहीं पर मौजूद है। अगर दुर्भाग्यपूर्ण कोई छोटा बच्चा या अन्य व्यक्ति इनकी चपेट में आ जाए तो हादसा तय है।
आपात स्थिति के लिए नहीं बनाया गया कोई अन्य रास्ता
झूला संचालक द्वारा आपात स्थिति से निपटने के लिए किसी भी प्रकार का व्यापक प्रबंध तक नहीं किया गया है। यहां तक कि झूला परिसर में आने व जाने के लिए एक ही रास्ता है। जबकि आपात स्थिति के लिए एक वैकल्पिक रास्ते का प्रबंध करना जरूरी होता है। साथ ही झूला परिसर में आने व जाने के लिए भी दो रास्ते नियमानुसार बनाए जाते है। ताकि भीड़ की स्थिति में लोगों को आने व जाने में किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। वहीं झूलों की फिटनेस पर भी लोग सवाल उठा रहे है।
समय रहते होना चाहिए था निरीक्षण
मेले में पहुंचे प्रदीप कुमार, मुकेश, डेविड, प्रवीन, विक्रम, संदीप इत्यादि का कहना है कि झूला संचालक द्वारा बडे स्तर पर लापरवाही बरती जा रही है। इस प्रकार की लापरवाही का प्रशासन को समय रहते निरीक्षण करना चाहिए। निरीक्षण के बाद ही झूलो को चलाने की इजाजत मिलनी चाहिए। क्योंकि यह लोगों की सुरक्षा से जुड़ा मामला है। जिस जगह पर झूले लगाए गए है वहां पर बरसात के कारण काफी पानी जमा हो गया था। जिससे यहां मिट्टी की नमी भी हादसे का कारण बन सकती है। अभी भी दो दिन और मेले के बचे है। इसलिए प्रशासन को तुरंत इस पर एक्शन लेना चाहिए और लापरवाही बरतने पर कार्रवाई जरूर करनी चाहिए।
झूला संचालक ने जरूरी कागजात जमा करवाए थे। अगर इस प्रकार की लापरवाही बरती जा रही है तो वह तुरंत इसकी जांच करवाएगें। अगर कमियां मिली तो नियमानुसार एक्शन भी लिया जाएगा- जयप्रकाश, एसडीएम रादौर
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हैरत की बात तो यह है कि सुरक्षा मापदंडो का निरीक्षण करने के लिए प्रशासन के अधिकारियों पर भी समय नहीं है। या यूं कहे कि जानबूझ कर प्रशासन अनदेखी कर रहा है। जबकि ऐसा कई जगहों पर हो चुका है कि झूला संचालको की लापरवाही लोगों को भारी पड़ी है। इसके बावजूद प्रशासन लापरवाही बरत रहा है।
न आग से बचने के लिए जरूरी इक्युपमेंट न प्राथमिक उपचार की कोई व्यवस्था
झूला संचालक को आग जैसी आपात स्थिति से निपटने के लिए जरूरी इक्युपमेंट जैसे फायर एक्सटीग्यूशर व रेत से भरी बाल्टी इत्यादि का इंतजाम हर समय रखना होता है। ताकि अगर जरूरत पड़े तो प्राथमिक तौर पर इनका इस्तेमाल किया जा सके और आपात स्थिति से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके। लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। इसके अलावा झूला परिसर में प्राथमिक उपचार की भी कोई व्यवस्था वहां पर नहीं है। ऐसी स्थिति कभी भी घातक हो सकती है।
झूला संचालक को आग जैसी आपात स्थिति से निपटने के लिए जरूरी इक्युपमेंट जैसे फायर एक्सटीग्यूशर व रेत से भरी बाल्टी इत्यादि का इंतजाम हर समय रखना होता है। ताकि अगर जरूरत पड़े तो प्राथमिक तौर पर इनका इस्तेमाल किया जा सके और आपात स्थिति से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके। लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। इसके अलावा झूला परिसर में प्राथमिक उपचार की भी कोई व्यवस्था वहां पर नहीं है। ऐसी स्थिति कभी भी घातक हो सकती है।
तारो से करंट का संकट भी मंडरा रहा
झूला संचालक द्वारा बिजली के करंट से बचने के लिए भी व्यापक प्रबंध नहीं किए गए है। हालांकि झूला परिसर में इस पर कुछ ध्यान जरूर दिया गया है लेकिन बाहरी क्षेत्र की ओर झूलों के पास लगी तारों में लापरवाही बरती गई है। यहां बच्चो के एक झूले के पास पिछली ओर तारे नीचे ही लगाई गई है। जिसका स्वीच व तारो के जोड़ भी वहीं पर मौजूद है। अगर दुर्भाग्यपूर्ण कोई छोटा बच्चा या अन्य व्यक्ति इनकी चपेट में आ जाए तो हादसा तय है।
आपात स्थिति के लिए नहीं बनाया गया कोई अन्य रास्ता
झूला संचालक द्वारा आपात स्थिति से निपटने के लिए किसी भी प्रकार का व्यापक प्रबंध तक नहीं किया गया है। यहां तक कि झूला परिसर में आने व जाने के लिए एक ही रास्ता है। जबकि आपात स्थिति के लिए एक वैकल्पिक रास्ते का प्रबंध करना जरूरी होता है। साथ ही झूला परिसर में आने व जाने के लिए भी दो रास्ते नियमानुसार बनाए जाते है। ताकि भीड़ की स्थिति में लोगों को आने व जाने में किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। वहीं झूलों की फिटनेस पर भी लोग सवाल उठा रहे है।
समय रहते होना चाहिए था निरीक्षण
मेले में पहुंचे प्रदीप कुमार, मुकेश, डेविड, प्रवीन, विक्रम, संदीप इत्यादि का कहना है कि झूला संचालक द्वारा बडे स्तर पर लापरवाही बरती जा रही है। इस प्रकार की लापरवाही का प्रशासन को समय रहते निरीक्षण करना चाहिए। निरीक्षण के बाद ही झूलो को चलाने की इजाजत मिलनी चाहिए। क्योंकि यह लोगों की सुरक्षा से जुड़ा मामला है। जिस जगह पर झूले लगाए गए है वहां पर बरसात के कारण काफी पानी जमा हो गया था। जिससे यहां मिट्टी की नमी भी हादसे का कारण बन सकती है। अभी भी दो दिन और मेले के बचे है। इसलिए प्रशासन को तुरंत इस पर एक्शन लेना चाहिए और लापरवाही बरतने पर कार्रवाई जरूर करनी चाहिए।
झूला संचालक ने जरूरी कागजात जमा करवाए थे। अगर इस प्रकार की लापरवाही बरती जा रही है तो वह तुरंत इसकी जांच करवाएगें। अगर कमियां मिली तो नियमानुसार एक्शन भी लिया जाएगा- जयप्रकाश, एसडीएम रादौर