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𝐂𝐡𝐚𝐧𝐝𝐢𝐠𝐚𝐫𝐡 𝐍𝐞𝐰𝐬 : हुड्डा बोले, सबके सिर उधारी रहेगी और जनता के सिर जिम्मेदारी रहेगी, सरकार ने ऐसा बजट पेश किया

4,51,368 करोड़ हुआ कर्ज, पुराने कर्जे की किश्त देने के लिए नया कर्जा ले रही है सरकार, सरकार ने नहीं की किसानों की कर्जमाफी, कांग्रेस ने लगभग 2200 करोड़ रुपये के कर्ज व 1600 क…

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4,51,368 करोड़ हुआ कर्ज, पुराने कर्जे की किश्त देने के लिए नया कर्जा ले रही है सरकार, सरकार ने नहीं की किसानों की कर्जमाफी, कांग्रेस ने लगभग 2200 करोड़ रुपये के कर्ज व 1600 करोड़ के बिजली बिल किए थे माफ- हुड्डा



चंडीगढ़, डिजिटल डेक्स।। सबके सिर पर उधारी रहेगी, जनता पर ही जिम्मेदारी रहेगी, सारे रोजगार निजी हो जाएंगे, बस सरकार ही सरकारी रहेगी। ये शेर बोलते हुए पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बीजेपी-जेजेपी सरकार के बजट पर टिप्पणी की। 

उन्होंने कहा कि यह एक विफल सरकार का विफल बजट था, जिसने हर वर्ग को निराश किया। जनता को उम्मीद थी कि चुनावी बजट होने की वजह से कम से कम घोषणा में ही सही, उसे इसबार महंगाई, बेरोजगारी, बेतहाशा टैक्स और आर्थिक मंदी से कुछ राहत मिलेगी। 

लेकिन सरकार ने जनता की उम्मीदों को तार-तार कर  दिया। पूरे बजट में ना कहीं एमएसपी का जिक्र है, ना एमएसपी पर बोनस का, ना बुजुर्गों को 𝟓𝟏𝟎𝟎 पेंशन, ना ओपीएस, ना हर जिले में मेडिकल कॉलेज और ना गरीबों को पक्के मकान का कोई जिक्र है। जबकि चुनाव में यहीं वादे करके बीजेपी-जेजेपी सत्ता में आई थी।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आंकड़ों के साथ सरकार को आईना दिखाते  हुए कहा कि इस बार बजट में महंगाई दर जितनी भी बढ़ोतरी नहीं की गई। प्रदेश की महंगाई दर 𝟔.𝟐𝟒% है, जबकि बजट में सिर्फ 𝟑.𝟐% की बढ़ोतरी की गई। कायदे से देखा जाए तो यह बढ़ोतरी नहीं बल्कि 𝟑% की कटौती है।

बीजेपी-जेजेपी महंगाई ने आरबीआई की मानक  सीमा 𝟔% को भी पार कर दिया है। ये राष्ट्रीय औसत 𝟓.𝟏 के मुकाबले भी 𝟏.𝟐𝟏 प्रतिशत ज्यादा है। कुल बजट के साथ इसबार सरकार ने कृषि, सिंचाई, शिक्षा, जनस्वास्थ्य, ऊर्जा, परिवहन, प्रशासकीय सेवाओं, शहरी विकास, ग्रामीण विकास, उद्योग व वाणिज्य समेत कई क्षेत्रों के बजट में भारी कटौती की है।


सरकार द्वारा बजट में कुल कर्ज  𝟑,𝟏𝟕,𝟗𝟖𝟐 करोड़ रुपए दिखाया गया है जबकि सच्चाई यह है कि आज प्रदेश पर कुल 𝟒,𝟓𝟏,𝟑𝟔𝟖 करोड़ रुपए (आंतरिक कर्ज- 𝟑,𝟏𝟕,𝟗𝟖𝟐, स्मॉल सेविंग- 𝟒𝟒𝟎𝟎𝟎, बॉर्ड व कॉरपोरेशन- 𝟒𝟑,𝟗𝟓𝟓, बकाया बिजली बिल व सब्सिडी- 𝟒𝟔,𝟏𝟗𝟑) का कर्जा हो चुका है। 

चिंता की बात है कि प्रदेश पर जीएसडीपी  का 𝟒𝟏.𝟐 प्रतिशत कर्जा हो गया है जो कि 𝟑𝟑% की मानक सीमा से कहीं अधिक है। 𝟐𝟎𝟐𝟒-𝟐𝟓 के लिए भी सरकार ने 𝟔𝟕,𝟏𝟔𝟑 करोड रुपए लोन लेने का प्रावधान किया है, जबकि पिछले लोन और उसके ब्याज का भुगतान करने पर ही 𝟔𝟒,𝟐𝟖𝟎 करोड़ रुपया खर्च हो जाएगा। यह नए कर्ज की 𝟗𝟓.𝟕 प्रतिशत राशि है। यानी पुराने लोन की किश्त देने के लिए सरकार नया कर्जा ले रही है।

सरकार द्वारा बजट में दावा किया गया है कि  वो 𝟓𝟓,𝟒𝟐𝟎 करोड़ पूजीगत निर्माण में व्यय करेगी। जबकि कर्ज की किश्त व पेशगी घटाकर यह सिर्फ 𝟏𝟔,𝟐𝟖𝟎 करोड़ रुपया ही बचता है, जोकि कुल बजट का मात्र 𝟖.𝟓 प्रतिशत है। यह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। 

इससे कोई भी कल्याणकारी योजना या बड़ी  परियोजना शुरू नहीं की जा सकती। इससे यह भी स्पष्ट हो जाता है कि सरकार द्वारा बजट में जो बड़े-बड़े ऐलान किए गए, उनको अमलीजामा पहनाने के लिए उसके पास कोई राशि ही नहीं है।

हुड्डा ने कहा कि बीजेपी-जेजेपी सरकार सिर्फ कर्जे,  महंगाई और बेरोजगारी के आंकड़े बढ़ा रही है। जबकि कांग्रेस ने विकास के पैमाने पर प्रदेश को आगे बढ़ाया। कांग्रेस कार्यकाल के दौरान 𝟐𝟎𝟎𝟓-𝟎𝟔 से 𝟐𝟎𝟏𝟒-𝟏𝟓 तक जीएसडीपी की वृद्धि दर 𝟏𝟖% सालाना थी, जो 𝟐𝟎𝟏𝟒-𝟏𝟓 से 𝟐𝟎𝟐𝟐-𝟐𝟑 तक घटकर सिर्फ 𝟗% रह गई। 

𝟐𝟎𝟎𝟓-𝟎𝟔 में जब कांग्रेस ने सत्ता संभाली तो  राज्य सकल घरेलू उत्पाद के मुकाबले कर्ज की दर 𝟐𝟔% थी। इसे 𝟐𝟎𝟏𝟒-𝟏𝟓 तक कांग्रेस सरकार ने घटाकर 𝟏𝟓% कर दिया था। लेकिन बीजेपी-जेजेपी ने इसमें लगभग दोगुनी बढ़ोतरी करके 𝟐𝟎𝟐𝟐-𝟐𝟑 तक इसे 𝟐𝟖% कर दिया।

नेता प्रतिपक्ष ने बजट में किसानों की कर्जमाफी  की मांग उठाई, लेकिन सरकार ने कर्जमाफी से साफ इंकार कर दिया। जबकि कांग्रेस सरकार ने लगभग 𝟐𝟐𝟎𝟎 करोड़ रुपये की कर्जमाफी की थी। साथ ही 𝟏𝟔𝟎𝟎 करोड़ रुपये के बिजली बिल माफ किए थे।

सरकार द्वारा पेश किए गए पिछले और नए  बजट के आंकड़ों की तुलना से पता चलता है कि कृषि के बजट में 𝟎.𝟐𝟖% की कटौती की गई, इसे 𝟏𝟏.𝟖𝟎 से घटाकर 𝟏𝟏.𝟓𝟐% किया गया है। 

इसी तरह परिवहन, सिविल एविएशन और सड़कों के  बजट में 𝟎.𝟏𝟒%, ग्रामीण विकास और पंचायत के बजट में 𝟎.𝟗%, शिक्षा के बजट में 𝟎.𝟑%, जनस्वास्थ्य विभाग के बजट में 𝟎.𝟐𝟏%, प्रशासकीय सेवाओं के बजट में भी 𝟏.𝟑𝟖% की कटौती की गई है।

सरकार ने इसबार कृषि विभाग के बजट  में 𝟏𝟐𝟐𝟐 करोड़ की भारी कटौती करते हुए इसे 𝟕𝟑𝟒𝟐 से घटाकर 𝟔𝟏𝟐𝟎 करोड रुपए कर दिया। इसी तरह सहकारिता विभाग के बजट को 𝟏𝟒𝟗 करोड रुपए घटाकर 𝟏𝟔𝟎𝟎 करोड़ से 𝟏𝟒𝟓𝟏 करोड़ कर दिया। 

तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास व औद्योगिक प्रशिक्षण  के बजट में 𝟑𝟏𝟒.𝟒𝟖 करोड़ की कटौती करते हुए, इसे 𝟏𝟔𝟔𝟑.𝟒𝟖 करोड़ से घटाकर 𝟏𝟑𝟒𝟗 करोड़ कर दिया गया। इसी तरह ऊर्जा के क्षेत्र में भी 𝟏𝟐𝟏𝟐.𝟒𝟖 करोड़ की भारी कटौती की गई। 

परिवहन विभाग के बजट में 𝟏𝟑𝟖 करोड़, शहरी विकास  एवं ग्राम आयोजन के बजट में 𝟕𝟐 करोड, उद्योग एवं वाणिज्य के बजट में 𝟒𝟔𝟑 करोड़, सिंचाई एवं जल संसाधन के बजट में 𝟑𝟓𝟏 करोड़, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी के बजट में 𝟐𝟐𝟖.𝟓𝟓 करोड़ रुपये की कटौती की गई है।

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