𝐘𝐚𝐦𝐮𝐧𝐚𝐧𝐚𝐠𝐚𝐫 𝐍𝐞𝐰𝐬 : बची हुई अवैध कॉलोनियों को नियमित करने की तैयारी शुरू, निगम ने ड्रोन से कराया सर्वे शुरू

मेयर मदन चौहान ने ड्रोन उड़ाकर सर्वेक्षण का किया शुभारंभ


वैध कॉलोनियों के बीच अवैध एरिया व लोगों से बसी अवैध कॉलोनियों किया जाएगा सर्वेक्षण


सर्वेक्षण पर निगम खर्च करेगा 49 लाख रुपये, अवैध क्षेत्र का जुटाया जाएगा पूरा ब्यौरा






यमुनानगर DIGITAL DESK  ||   अवैध काॅलोनियों व अवैध क्षेत्र में रह रहे शहरवासियों के लिए अच्छी खबर है। नगर निगम के अंतर्गत बची अवैध कॉलोनियां व क्षेत्र भी वैध करने निगम ने तैयारी शुरू कर दी है। निगम क्षेत्र की जो कॉलोनियों अवैध रह गई हैं और वैध कॉलोनियों के बीच जो एरिया अवैध है, उसके लिए नगर निगम की ओर से ड्रोन के माध्यम से सर्वेक्षण शुरू कर दिया है। मेयर मदन चौहान ने खुद ड्रोन उड़ाकर इस सर्वे का शुभारंभ किया। सर्वेक्षण शुभारंभ पर एटीपी लख्मी सिंह तेवतिया, एसडीओ राजेश कुमार व अन्य अधिकारी भी साथ थे। जीआईएस (जियोग्राफिक इंफॉर्मेशन सिस्टम) के जरिए किए जा रहे इस सर्वेक्षण से नगर निगम क्षेत्र की अवैध कॉलोनियों व वैध हुई कॉलोनियों के बीच के अवैध क्षेत्र का पता लगाया जाएगा। इसके अलावा यह पता लगाया जाएगा कि कहां-कहां काॅलोनियां बसी हुई हैं। उनमें कौन कौन सी अवैध है। वैध कॉलोनियों के बीच में कौन सा एरिया अवैध है। कौन सी काॅलोनी कितने एरिया में फैली है। सड़कें कितनी चौड़ी हैं और किस एरिया में कितनी काॅलोनियां बसी हुई हैं। सर्वेक्षण के बाद इन कॉलोनियों को नियमित किए जाने की प्रक्रिया की जाएगी। बची हुई अवैध कॉलोनियां नियमित होने से उनमें भी विकास के द्वार खुलेंगे और उनमें नगर निगम द्वारा गलियां, नालियां, सीवरेज व अन्य मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अलावा वैध एरिया में जो अवैध एरिया है, उसका भी समाधान होगा।







1996 में निर्मित भवनों के बीच अवैध रहा एरिया भी होगा स्वीकृत -


मेयर मदन चौहान ने बताया कि नगर निगम के अंतर्गत वर्ष-2018 में सरकार ने 69 कॉलोनियों को नियमित किया गया था। इन काॅलोनियों में करोड़ों रुपये के विकास कार्य कराए जा रहे हैं। अधिकतर में गलियों व भूमिगत पाइप लाइन डालने का कार्य पूरा कर लिया गया है। कुछ में निर्माणाधीन है। अपने कार्यकाल में उन्होंने प्रथम फेस में 38 कॉलोनियों को नियमितीकरण के लिए सरकार को भेजी थी। इनमें से 35 कॉलोनियां अप्रैल माह में नियमित की गईं। दूसरे फेस में अगस्त माह में 36 कॉलोनियों को नियमित किया गया। इन कॉलोनियों में गलियों व नालियों के निर्माण के एस्टीमेट बना लिए गए हैं। इनमें भी मूलभूत सुविधाएं दिए जाने का कार्य प्रगति पर है। तीसरे फेस में 24 कालोनियों को नियमित किए जाने प्रस्ताव निदेशालय को भेजा हुआ है। चौथे फेस में 12 कॉलोनियों का डाटा तैयार कर लिया गया है। जो मंडल आयुक्त को प्रेषित किया जाएगा। पांचवें फेस में 150 कॉलोनियाें का डाटा जीआईएस (जियोग्राफिक इंफॉर्मेशन सिस्टम) के जरिए नियमित करने की तैयारी है। इसके लिए ड्रोन से सर्वे शुरू किया गया है। जिसे अवैध कॉलोनियों का पता करके उन्हें नियमित कराया जाएगा। इसके अलावा 1996 में सरकार द्वारा स्वीकृत की गई कॉलोनियों में केवल निर्मित भवन को स्वीकृत किया गया था, लेकिन उस समय निर्मित भवनों के बीच का एरिया अनाधिकृत अर्थात अवैध रह गया था। इस एरिया को भी जीआईएस से सर्वे करवाकर सरकार को स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा। नियमित होने से सभी कॉलोनियों में सभी मूलभूत सुविधाएं दी जाएगी।





सर्वेक्षण में जुटाया जाएगा पूरा ब्योरा -


निगम क्षेत्र में जो कॉलोनियां या क्षेत्र वैध होने से रह गए हैं, उनमें ड्रोन सर्वे सहित मार्किंग व जीआईएस (जियोग्राफिक इंफॉर्मेशन सिस्टम) पर करीब 49 लाख खर्च होंगे। हाल ही में हुई हाउस की बैठक में इस प्रस्ताव को पास भी किया गया था। जिसके बाद अब इस पर काम शुरू हो गया है। इसके तहत कॉलोनी का नाम, क्षेत्र, लोकेशन, निगम एरिया में है या उसके बाहर, काॅलोनी का इस्तेमाल रिहायशी, व्यावसायिक, इंडस्ट्रियल (तीनों का प्रतिशत), किस साल स्थापना हुई, कंट्रोल्ड या अर्बन क्षेत्र, लेआउट प्लान, कुल प्लाट, कितने प्लाट पर निर्माण व कितने खाली, कॉलोनी में कितने परिवार रहते हैं। स्ट्रीट लाइट, पेयजल आपूर्ति व अंडरग्राउंड सीवरेज, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, पार्क या ओपन स्पेस है या नहीं, रास्ता कच्चा है या पक्का और उसकी लंबाई, चौड़ाई कितनी है, कहां रोड की चौड़ाई तीन मीटर से कम है, अप्रोच रोड से मुख्य मार्ग की दिशाएं, किस सबस्टेशन से बिजली आपूर्ति हो रही है, कॉलोनी में कम्युनिटी साइट है या नहीं, है तो वह कितने क्षेत्र में है, रजिस्टर्ड रेसिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन है या नहीं। यह सब ब्योरा सर्वेक्षण में जुटाया जाएगा।



वैध होने से वंचित नहीं रहेगी कोई कॉलोनी -


मेयर मदन चौहान ने कहा कि ड्रोन सर्वेक्षण में उनका पूरा प्रयास रहेगा कि नगर निगम क्षेत्र में कोई भी कॉलोनी शर्तें पूरी करने के बावजूद वैध होने से वंचित न रहे। इसी के तहत अवैध बची कॉलोनियों में यह ड्रोन सर्वे, मार्किंग व जीआईएस का काम होना है। ताकि वैध होने की शर्तें पूरी करने वाली अवैध कॉलोनियों को सरकार द्वारा वैध करवाया जा सके। इससे नगर निगम की जमीनों व उन पर अवैध कब्जों का भी पता लग सकेगा। ऐसी निगम की जमीनों पर तारबंदी कर नगर निगम के बोर्ड लगाए जाएंगे और जहां कहीं भी निगम की जमीनों पर ड्रोन की मदद से अवैध कब्जों का पता लगेगा, वहां कार्रवाई कर अवैध कब्जे हटवाए जाएंगे।






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