दरअसल ये राहत उन कर्मचारियों के लिए है, जो अक्तूबर-2005 से पहले विज्ञापित हुए भर्तियों के माध्यम से सरकारी सेवाओं में आए हैं। सरकार ने 28 अक्तूबर, 2005 से पहले के विज्ञापनों वाले कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) का लाभ देने का फैसला लिया है।
वित्त विभाग द्वारा इस संदर्भ में प्रपोजल तैयार किया गया था। इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) से मंजूरी मिल गई है।
सीएमओ की मिली मंज़ूरी
सीएमओ की मंजूरी के बाद वित्त विभाग ने ऐसे कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन योजना का विकल्प चुनने के लिए 31 अगस्त तक का समय दिया है। बेशक, इन कर्मचारियों की नियुक्ति पहली जनवरी, 2006 के बाद ही क्यों न हुई हो।
यहां बता दें कि हरियाणा में न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) के लिए 31 दिसंबर, 2005 को नोटिफिकेशन जारी हुआ था। पहली जनवरी से प्रदेश में न्यू पेंशन स्कीम को लागू कर दिया था। कर्मचारियों द्वारा लम्बे समय से ओपीएस की मांग की जा रही है।
हिमाचल और पंजाब में नई सरकार ने लागू की ओपीएस
पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में हाल ही में ओपीएस लागू हुई है। वहीं राजस्थान में कांग्रेस सरकार पहले ही ओपीएस का लाभ कर्मचारियों को दे चुकी है। पंजाब में भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी सरकार भी ओपीएस लागू कर चुकी है।
हरियाणा में सभी कर्मचारियों को तो ओपीएस का लाभ नहीं मिलेगा, लेकिन कुछ कर्मचारियों को जरूर इसका फायदा मिलना तय हो गया है। अगर कर्मचारी न्यू पेंशन स्कीम में ही रहना चाहेंगे तो इसके लिए भी उन्हें विकल्प भरकर देना होगा।
सरकार ने ये फ़ैसला क्यों लिया?
यह फैसला भी सरकार ने इसलिए लिया है क्योंकि 28 अक्तूबर, 2005 से पहले भर्तियों के लिए निकाले गए विज्ञापन के समय तक प्रदेश में ओल्ड पेंशन योजना लागू थी।
ऐसे में इन पदों के लिए चयनित होने वाले कर्मचारियों को ओपीएस का लाभ देने का निर्णय हुआ है। यहां बता दें कि केंद्र सरकार भी इसी तरह से कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का विकल्प चुनने के लिए 31 अगस्त तक का समय दे चुकी है। केंद्र के पैटर्न पर ही हरियाणा ने अपने यहां योजना लागू की है।
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