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Delhi Political News : एमसीडी में बीजेपी को लगा बड़ा झटका, बवाना से पार्षद पवन सहरावत ने फिर आम आदमी पार्टी में हुए शामिल

Delhi Political News : दिल्ली में आम आदमी पार्टी के लिए बड़ी ही राहत की बात है। दरअसल कुछ दिन पहले एक पार्षद बीजेपी में शामिल हो गए थे। अब मेयर का चुनाव होने के बाद फिर से …

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Delhi Political News : दिल्ली में आम आदमी पार्टी के लिए बड़ी ही राहत की बात है। दरअसल कुछ दिन पहले एक पार्षद बीजेपी में शामिल हो गए थे। अब मेयर का चुनाव होने के बाद फिर से उसकी घर वापसी हो गई है। घर वापसी राजेंद्र नगर से विधायक दुर्गेश पाठक ने कराई है।

आम आदमी पार्टी से हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए एक पार्षद ने दोबारा आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया है। बवाना से पार्षद पवन सहरावत ने आज एक बार फिर आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर ली है। 

पवन सहरावत ने आम आदमी पार्टी की टिकट पर बवाना से पार्षद का चुनाव जीता था, लेकिन फरवरी में स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव से ठीक पहले वे बीजेपी में शामिल हो गए थे। अब एक बार फिर उनकी घर वापसी से दिल्ली नगर निगम में भाजपा को एक बड़ा झटका लगा है। 


दुर्गेश पाठक ने किया पार्टी में स्वागत


Pawan
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राजेंद्र नगर के विधायक दुर्गेश पाठक ने टोपी और पटका पहनाकर पवन सहरावत का पार्टी में स्वागत किया। इस दौरान एमसीडी सहप्रभारी दीपक सिंगला भी मौजूद रहे। 

इस दौरान विधायक दुर्गेश पाठक ने कहा कि केजरीवाल सरकार द्वारा स्कूल, अस्पताल, बिजली, पानी, सड़क और वाईफाई समेत तमाम क्षेत्रों में किए जा रहे, ऐतिहासिक कार्यों से प्रभावित होकर लगातार लोग आम आदमी पार्टी में शामिल हो रहे हैं। 

इसी क्रम में आज पवन सहरावतआपपरिवार में लौट रहे हैं। 

मान सम्मान के साथ घर वापसी

पवन बवाना सीट से दूसरी बार भारी बहुमत के साथ चुनाव जीते हैं। फरवरी में संगठनात्मक गलतफहमियों के चलते वह बीजेपी में चले गए थे लेकिन वहां पर मन नहीं लगा। 

दुर्गेश पाठक ने कहा कि वह लगातार मेरे साथ संपर्क में थे। सभी गलतफहमियों को दूर किया गया और आज फिर से अपने परिवार में उसी मान सम्मान के साथ वापस रहे हैं।


पवन ने खो दी अपनी विश्वसनीयता

दिल्ली बीजेपी प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि चुनाव में भाजपा के 104 पार्षद जीत कर आये थे वह एकजुट हैं। आम आदमी पार्टी पार्षद पवन सहरावत ने बीजेपी कार्यालय आकर पार्टी नीतियों में विश्वास प्रकट कर पार्टी की सदस्यता ली थी। 

वह वापस गए यह उनकी मर्जी है। सात हफ्ते में 2 बार दलबदल कर उन्होने अपनी राजनीतिक विश्वसनीयता खो दी है।

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