Haryana Wheat : किसानों पर पड़ रही दोहरी मार, सरकारी एजेंसियाँ नहीं ख़रीद रही किसानों का गेहूं, जानें क्या है वजह



झज्जर : हाल ही में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि का खामियाजा भुगतने के बाद, किसानों को अब अपनी उपज में नमी का स्तर बढ़ने के कारण अपनी गेहूं की उपज को सरकारी एजेंसियों को बेचना मुश्किल हो रहा है।

राज्य सरकार 2,125 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद के लिए गेहूं में अधिकतम 12 प्रतिशत नमी की अनुमति देती है, लेकिन नमी का स्तर इससे कहीं अधिक पाया जा रहा है, जिससे किसानों को अपनी उपज सुखाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

आधिकारिक सूचना के अनुसार, झज्जर शहर की अनाज मंडी में अब तक 1,100 क्विंटल से अधिक गेहूं की आवक हो चुकी है, लेकिन नमी का स्तर अधिक होने के कारण पूरी उपज अभी भी बिना बिके पड़ी है। हैफेड और हरियाणा स्टेट वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन (एचएसडब्ल्यूसी) को एमएसपी पर गेहूं की खरीद का जिम्मा सौंपा गया है।

किसानों पर पड़ रही दोहरी मार

किसान इस बार दोहरी मार झेल रहे हैं। जहां एक ओर बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने गेहूं की फसल को व्यापक नुकसान पहुंचाया है, वहीं दूसरी ओर सरकारी एजेंसियां निर्धारित सीमा से अधिक नमी का हवाला देकर हमारी उपज की खरीद नहीं कर रही हैं। अब उनके पास इसे सरकारी एजेंसियों को बेचने के लिए नमी के स्तर को नीचे लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

मंडी समिति झज्जर की सचिव सविता सैनी ने बताया कि सोमवार को अनाज मंडी में कुल 214 क्विंटल गेहूं पहुंचा था, जबकि इससे पहले 798 क्विंटल गेहूं अनाज मंडी में पहुंचा था। इसी तरह, आज 119 क्विंटल सरसों की आवक दर्ज की गई और एजेंसी द्वारा 25 क्विंटल की खरीद की गई।

नमी की स्वीकार्य सीमा 12%

राज्य सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,125 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीद के लिए गेहूं में अधिकतम 12 प्रतिशत नमी की अनुमति देती है, लेकिन नमी का स्तर इससे कहीं अधिक पाया जा रहा है, जिससे किसान अपनी उपज सुखाने को मजबूर हैं।

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