चंडीगढ़ : हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर अहंकार में डूबे हुए हैं और यही कारण है कि उन्होंने न्यायाधीश के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की। हरियाणा परिवर्तन पदयात्रा के दौरान नारनौल में प्रेस वार्ता कर पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट को भी इस गंभीर मामले पर स्वयं संज्ञान लेना चाहिए ताकि फिर से कोई अदालत की अवमानना करने की हिम्मत न करें।
अहंकार में डूबी इस सरकार के नेता वैसे भी समय-समय पर हाईकोर्ट के आदेशों की उल्लंघना करते रहे हैं। मुख्यमंत्री के इस बयान पर अपनी पार्टी के लीगल सैल और पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के वकीलों से समन्वय कर रहे हैं। पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री के इस अपमानजनक बयान को लेकर हाईकोर्ट में अदालत की अवमानना के संदर्भ में एक याचिका दायर की जाएगी।
इनेलो नेता ने कहा कि हरियाणा विधानसभा के सेशन के दौरान जब उन्होंने जनता की आवाज को उठाया तो उन्हें नेम करते हुए विधानसभा से दो दिन के लिए बाहर कर दिया गया। इसको लेकर उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने याचिका पर संज्ञान लेते हुए नोटिस विधानसभा को भेजा।
खट्टर सरकार पर नेम मामले में हमला
अभय चौटाला ने तथ्यों के साथ सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार नोटिस के जवाब में सरकार के एडवोकेट जनरल ने विधानसभा की प्रोसिडिंग और शपथ पत्र कोर्ट में देने की बात कही। हैरानी की बात ये है कि नोटिस का जवाब देने की बजाय इस मामले में हरियाणा विधानसभा में ही एक प्रस्ताव पास कर दिया गया है कि विधानसभा हाई कोर्ट के प्रति जवाबदेह नहीं है।
इनेलो नेता ने डीएसपी बलजिंद्र सेखों का उदाहरण देते हुए कहा कि उस मामले में भी हाईकोर्ट ने खुद संज्ञान लिया था और अब मुख्यमंत्री के अपमानजनक बयान के बाद भी हाईकोर्ट को खुद संज्ञान लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मैंने पहले ही कह दिया था कि इस परिवर्तन यात्रा से ‘ए.सी.’ कमरों में बैठ कर झूठ और फऱेब की राजनीति करने वालों को गाँव की दहलीज पर नाक रगड़ने पर मजबूर कर दूँगा। अब मुख्यमंत्री इसी परिवर्तन यात्रा से डर कर तीन दिन गावों में बिताने जा रहे हैं। हरियाणा प्रदेश की भोली भाली जनता से झूठ बोलकर वोट लेने वालों को सडक़ों पर लाकर छोड़ूँगा।
चौटाला ने कहा कि बड़े दुख की बात है कि बेमौसमी बारिश और ओलों से किसानों की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है लेकिन अभी तक भाजपा गठबंधन सरकार की तरफ से मुआवजा देने के कोई भी प्रयास नहीं किए गए हैं। मुख्यमंत्री किसानों की बेमौसमी बारिश और ओलों से खऱाब फसल को खेतों में जाकर देखने की बजाय हेलीकॉप्टर से हवा में उड़ान भर रहे हैं और ये देख रहे हैं की किसान पूरी तरह मरा या नहीं।
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