Haryana Farmer News : हरियाणा में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों के 7 लाख एकड़ भूमि में पकी फसल को बरबाद कर दिया। इस साल किसानों के लिए ये बारिश आफत बनकर बरसी है और किसानों की फसलों की भारी तबाही हुई है।
हरियाणा सरकार ने हालाँकि मुआवज़े के लिए आवेदन माँगे है। पोर्टल के ज़रिए किसानों ने जो आँकड़े दिए है उससे पता चला है कि इस बार हरियाणा में गेहूं की पैदावार काफ़ी कम रहने वाली है।
सोमवार को पोर्टल खुलने तक हरियाणा में हुई बारिश व ओलावृष्टि से हुए नुकसान से पीड़ित करीब एक लाख 30 हजार किसान अपना ब्यौरा दर्ज करवा चुके हैं। सरकार के पोर्टल पर प्रभावित किसानों ने मुआवजे के लिए आवेदन में यह आंकड़े सामने आए हैं।
7.30 लाख एकड़ फसल बरबाद
पोर्टल पर आए आंकड़ों के अनुसार राज्य में 7.30 लाख एकड़ भूमि की फसल को नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री ने किसानों को आश्वस्त किया है कि सरकार आए आवेदनों का फिजिकल वेरिफिकेशन कराकर मई माह में ही मुआवजा देगी।
पोर्टल पर आ रहे दावों के अनुसार तेज आंधी के साथ हुई बरसात ने खेतों में गेहूं की फसल को पूरी तरह से बिछा दिया है, जिसके कारण गेहूं की फसल में 50 से 100 प्रतिशत तक नुकसान दर्ज किया गया है। कुछ जिले ऐसे हैं जहां के किसानों की फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई है।
ये वो आँकड़ा है जिसमें किसानों ने प्रधानमंत्री बीमा योजना लाभ नहीं लिया है। क्योंकि पोर्टल पर सिर्फ़ उन किसानों का पंजीकरण हो रहा जिनका पीएम बीमा योजना नहीं ले रखी है। हालाँकि कहीं देखा गया कि जिन किसानों ने बीमा नहीं ले रखा उनका भी बीमा दिखा जा रहा है।
दोबारा पोर्टल खोलने का दावा, लेकिन नहीं खुल रहा
प्रदेश सरकार ने किसानों की सुविधा के लिए सोमवार से दोबारा पोर्टल खोलने का दावा किया लेकिन किसानों का तर्क है कि पोर्टल अभी भी बंद है।
भारतीय किसान यूनियन ने उठाए सवाल
भाकियू प्रवक्ता राकेश बैंस ने कहा कि सरकारी पोर्टल केवल सरकारी दफ्तरों में ही खुल रही है। प्रदेश के किसान परेशान हैं। कहा जा रहा है कि राजस्व विभाग से प्राप्त सूचना के अनुसार क्षतिपूर्ति पोर्टल पर वही किसान आवेदन कर सकते हैं, जिस गांव में फसल खराब हुई है और खराबा के अधीन आने वाले गांव का चयन उपायुक्त ऑफिस द्वारा किया जा रहा है, यदि किसी गांव में फसल खराब हुई है और किसान खराबा दर्ज कराना चाह रहा है तो पहले उपायुक्त से अनुमति प्राप्त करें और राजस्व अधिकारी से संपर्क करें।
बैंस ने कहा कि अगर उपायुक्त द्वारा यह सब तय किया जाएगा तो किसी से पूछने का कोई औचित्य नहीं है। सरकार को इस फैसले पर दोबारा विचार करना चाहिए।
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