चंडीगढ़ : गौसंरक्षण के लिए काम करने वाली सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं के लिए अच्छी खबर है। अब ऐसी संस्थाओं को नई गौशाला स्थापित करने के लिए जमीन के संकट से नहीं जूझना पड़ेगा। गांवों में पंचायती व शामलात भूमि पर वे गौशाला का निर्माण कर सकेंगी। इतना ही नहीं, इस भूमि में बायोगैस प्लांट, पंचगव्य उत्पाद, पशु चिकित्सा अस्पताल, अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र भी स्थापित किए जा सकेंगे।
इतना ही नहीं, पशु चारा उगाने के लिए भी संस्थाओं को यह जमीन सरकार देगी। जमीन 20 वर्षों के पट्टे (लीज) पर मिलेगी। यह संभव हो पाएगा पंजाब गांव साझा भूमि (विनियमन) नियम-1964 के उप-नियम (2क) में हुए संशोधन के बाद। खट्टर मंत्रिमंडल ने बुधवार को इस कानून में बदलाव की मंजूरी दी। सरकार ने स्पष्ट किया है कि पंचायती व शामलात भूमि पर स्थापित होने वाली गौशालाओं में कुल पशु संख्या का कम से कम 50 प्रतिशत बेसहारा पशुओं को पट्टा अवधि के दौरान गौशाला में रखना होगा।
सरकार ने ये लगाई शर्त
सरकार ने यह शर्त इसीलिए लगाई है ताकि सड़कों पर घूमने वाले लावारिस गौवंश को भी गौशालाओं तक पहुंचाया जा सके। बदलाव के बाद अब ये 2023 के संशोधित नियम कहलाएंगे। अब ग्राम पंचायत को अपनी भूमि आवंटन के माध्यम से 20 वर्ष तक की अवधि के लिए कम से कम प्रतिवर्ष 5100 रुपये प्रति एकड़ की दर से पट्टे पर देने की अनुमति होगी।
पट्टे पर देने की अनुमति
शामलात देह में किसी भी भूमि को गौशाला निर्माण के उपरान्त प्रति 100 पशुओं (कम से कम 50 प्रतिशत बेसहारा पशु) के लिए 0.75 एकड़ के अनुपात में गौशाला की स्थापना हेतु पट्टे पर देने की अनुमति दी जाएगी।
शामलात देह में किसी भी भूमि को बायोगैस संयंत्र, पंचगव्य उत्पाद, पशु चिकित्सा अस्पताल, अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र आदि जैसे सहायक उद्देश्यों के लिए 1500 पशुओं (कम से कम 50 प्रतिशत बेसहारा पशु) वाली गौशाला को 2 एकड़ भूमि पट्टे पर देने की अनुमति दी जाएगी। गौशाला निर्माण के बाद गौचरण के लिए चिह्नित भूमि में से 1.5 एकड़ भूमि प्रति 100 पशुओं (कम से कम 50 प्रतिशत बेसहारा पशु) के लिए चारे की खेती हेतु पट्टे पर देने की अनुमति दी जाएगी।
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