नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) विवाद पर आज यानी गुरुवार को सुनवाई हुई। दरअसल पानी के बंटवारे को लेकर हरियाणा और पंजाब के बीच विवाद बना हुआ है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों राज्यों को मिलकर मसला सुलझाना चाहिए। आखिर दोनों देश के ही राज्य हैं। इस मसले पर दोनों राज्यों को बैठक कर समाधान निकालना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी सक्रिय भूमिका निभाने का निर्देश दिया है। कोर्ट के मुताबिक, केंद्र इस मामले में गवाह नहीं रह सकता है और उसने दो महीने के भीतर इस मामले में हलफनामा मांगा है। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की अगली सुनवाई 4 अक्टूबर को करेगा। हालांकि इस मसले को लेकर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन कोई हल नहीं निकला है। पंजाब सरकार अपने स्टैंड पर कायम है कि वह हरियाणा को एक बूंद पानी भी नहीं देगी, उसके पास पानी नहीं है। वहीं, हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा है कि हरियाणा को उसका हक मिलना चाहिए।
बता दें कि इस पूरे मामले को लेकर केंद्र सरकार ने हलफनामा भी दाखिल किया था। कोर्ट में जल शक्ति मंत्रालय ने कहा कि इस विवाद को सुलझाने की पूरी कोशिश की जा रही है। हलफनामे में यह भी कहा गया है कि हरियाणा और पंजाब सरकार इस मामले में समाधान निकालने को तैयार है लेकिन इसके लिए उन्हें भविष्य में और समय देने की जरूरत है।
सतलुज-यमुना लिंक विवाद क्या है?
1 नवंबर 1966 को हरियाणा को पंजाब से अलग कर दिया गया था, लेकिन उस समय पानी का वितरण नहीं किया गया था। कुछ साल बाद केंद्र ने हरियाणा को 3.5 एमएएफ पानी आवंटित किया। इस पानी को लाने के लिए एसवाईएल नहर बनाने का भी निर्णय लिया गया। हरियाणा ने नहर का अपना हिस्सा कई साल पहले पूरा कर लिया था, लेकिन पंजाब ने अभी तक अपना हिस्सा नहीं बनाया है। यह मुद्दा कई बार सुप्रीम कोर्ट में उठ चुका है और हर बार दोनों राज्यों से इस विवाद को जल्द सुलझाने को कहा गया।
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