नई दिल्ली: भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका वकील एस.सी.एन. सिन्हा की और से दायर की गई थी। इस याचिका में भारत के संविधान के प्रावधानों के अनुसार जम्मू और कश्मीर में विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन को पूरा करने के लिए भारत के चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई थी।
जम्मू और कश्मीर में परिसीमन
परिसीमन एक देश में चुनावी निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं को परिभाषित करने की प्रक्रिया है। यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण पहलू है और विधान सभा में विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों का समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है। जम्मू और कश्मीर में, परिसीमन प्रक्रिया आखिरी बार 1995 में की गई थी और तब से, इसके संशोधन की कई मांगें की जा रही हैं।
याचिका खारिज करने के पीछे सुप्रीम कोर्ट का तर्क
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि यह बनाए रखने योग्य नहीं है। अदालत ने कहा कि याचिका एक राजनीतिक सवाल उठाती है और अदालत ऐसे मामलों पर विचार नहीं कर सकती है। अदालत ने यह भी कहा कि विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन एक ऐसा मामला है जो भारत के चुनाव आयोग और भारत की संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है।
याचिका खारिज करने के निहितार्थ
याचिका के खारिज होने का जम्मू-कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनावों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन चुनावी प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण पहलू है और यह विधान सभा में विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों के प्रतिनिधित्व का निर्धारण करेगा। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा याचिका पर विचार नहीं करने के निर्णय का अर्थ है कि जम्मू और कश्मीर में विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन भारत के संविधान के प्रावधानों और भारत के चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित नियमों और विनियमों के अनुसार किया जाएगा।
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