Haryana E-Tendring System: हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से मांगा जवाब, सरपंचों को भी दिया झटका, पढ़ें HC ने क्या कहा?
चंडीगढ़: हरियाणा में सरपंच इस वक़्त ई-टेंडरिंग (E-Tendring) को लेकर आंदोलनरत है। वहीं हरियाणा में विकास कार्य के लिए सरकार की ई-टेंडर (E-Tendring) प्रक्रिया अपनाने के फ़ैसले के खिलाफ दर्जनभर से अधिक पंचायतों ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट से गुहार लगाई थी।
हाईकोर्ट ने याचिका पर हरियाणा सरकार, ग्रामीण विकास व पंचायत विभाग के वित्तायुक्त व अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। हालांकि हाईकोर्ट ने सरकार के आदेश पर रोक लगाने से फिलहाल इनकार कर दिया है।
कई गांवों के सरपंचों ने लगाई HC में गुहार
कुरुक्षेत्र समेत अन्य जिलों की पंचायतों की ओर से याचिका दाखिल कर बताया गया कि हरियाणा सरकार के 19 जनवरी को आदेश जारी कर ग्राम विकास के कार्य पूर्ण करने के लिए ई-टेंडर प्रक्रिया अपनाने का आदेश दिया गया। सरकार की दलील है कि पंचायत के विकास कार्य में भ्रष्टाचार रोकने के लिए यह व्यवस्था अपनाई गई है। इसके तहत दो लाख रुपये से अधिक के कार्यों के लिए ई-टेंडरिंग अनिवार्य होगी।
सरपंचों का कहना गांव में ऐसे नहीं होगा विकास
सरपंचों का कहना है कि सरकार के इस निर्णय से पंचायत का काम काज प्रभावित होगा। पहले सरपंच पहले अपने स्तर पर गांव के लिए 20 लाख रुपये तक के विकास कार्य करवा सकता था, लेकिन इस व्यवस्था से ग्राम पंचायत एक लाख रुपये तक के विकास कार्य ही करवा सकेंगी।
ई-टेंडर सिस्टम (E-Tendring System) लंबी प्रक्रिया है और टेंडर में ही एक साल बीत जाता है। इसलिए वह टेंडर सिस्टम को गांव में लागू नहीं होना देना चाहते। पंचायत अपने हिसाब से विकास कार्य करवाती है लेकिन टेंडर प्रक्रिया लागू होने से गांव में विवाद बढ़ेंगे।
पहले भी ई-टेंडरिंग ली गई थी वापिस
याचिका में आरोप लगाया गया कि बीजेपी सरकार के पिछले कार्यकाल 2015 में भी इसी तरह की ई-टेंडरिंग प्रणाली शुरू की गई थी जिसे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी जिसके बाइ ई-टेंडरिंग प्रणाली वापिस ली गई थी।
याचिका में सरपंचों का आरोप है कि समय के साथ हरियाणा पंचायती राज कानून 1994 में कई संशोधन करके उनके अधिकार कम कर दिए गए हैं। सरकार की ई-टेंडरिंग प्रणाली से गांव वालों द्वारा चुने गए प्रतिनिधि ग्राम विकास के लिए कुछ नहीं कर सकेंगे, सारा काम अधिकारियों के हवाले से होगा।