Bulldozer Action in Tughalaqabad: 1000 से ज्यादा घरों पर चलेगा पीला पंजा, बेबस लोग घर छोड़ने पर मजबूर, जानें पूरा मामला

Bulldozer Action in Tughalaqabad
घरों के बाहर पोस्टर लगाए गए।


नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के तुग़लक़ाबाद में अब तक का सबसे बड़ा बुलडोज़र अभियान शुरू होने जा रहा है। तुगलकाबाद किले की करीब 1500 बीघा जमीन पर सालों से अवैध कब्जा है। ये इलाका भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानि ASI के संरक्षित क्षेत्र में आता है। ASI ने बड़े पैमाने पर अपनी जमीन खाली करने के लिए ये अभियान शुरू किया है। अतिक्रमण विरोधी अभियान के तहत अवैध रूप से बनाए गए घरों की दीवारों पर एक हजार से ज्यादा नोटिस चिपकाए गए हैं। इन घरों में रह रहे लोगों को 15 दिन के भीतर घर खाली करने का अल्टीमेटम दे दिया गया है।


1500 बीघा जमीन पर अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई


तुगलकाबाद किले की करीब 1500 बीघा जमीन पर अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई शुरू होने जा रही है। इसी माह के अंत तक घर तोड़ने का काम शुरू किया जाएगा। दिल्ली सर्किल के सुपरिंटेंडेंट आर्कियोलॉजिस्ट प्रवीण सिंह ने बताया है कि अब तक अतिक्रमणकारियों के घरों की दीवारों पर 1000 से ज्यादा नोटिस चिपकाए जा चुके हैं। पिछले दो दिन के भीतर किले की जमीन पर बनाए गए करीब 1200 घरों पर नोटिस चसपा किए गए हैं। उन्होंने कहा कि, 'हमने पुलिस और दिल्ली सरकार के अधिकारियों के सहयोग से ये अभियान शुरू किया था।’ इलाके में चिपकाए गए नोटिस में कहा गया है, कि 'तुगलकाबाद किला क्षेत्र के अंदर के मकानों के कब्जेदार/अतिक्रमणकर्ता को निर्देश दिया जाता है कि वे इस नोटिस के जारी होने की तारीख से 15 दिनों की अवधि के भीतर सभी अवैध निर्माणों/अतिक्रमणों को अपने खर्चे से हटा दें। ऐसा न करने पर कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी, जिसमें विध्वंस/बेदखली शामिल है। इस कार्रवाई की लागत भी उनसे ही वसूली जाएगी।'


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नोटिस।


संरक्षित स्मारक घोषित किया


अधिकारियों ने कहा, कि तुगलकाबाद किले के रूप में इसकी दीवारों, एंट्री गेट, किलों, आंतरिक और बाहरी दोनों गढ़ों की आंतरिक इमारतों और किलेबंदी की दीवारों को संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है, ‘किसी को भी केंद्रीय अनुमति के बिना किसी भी तरह से किसी भी इमारत का निर्माण करने या क्षेत्र का उपयोग करने की अनुमति नहीं है।' 


प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 की धारा 19 के अनुसार, संरक्षित क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति किसी तरह की इमारत का निर्माण नहीं कर सकता।  इसके अलावा अधिनियम की धारा 20 A कहती है कि संरक्षित सीमा से 100 मीटर का क्षेत्र 'वर्जित' है जिसमें नए निर्माण की अनुमति नहीं है।  हालांकि यह पाया गया है कि किला क्षेत्र की दीवारों के भीतर निर्माण और अतिक्रमण कुछ व्यक्तियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है। 


सुप्रीम कोर्ट ने 4 फरवरी 2016 अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था

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घर छोड़ने पर बेबस लोग।




सुप्रीम कोर्ट ने 4 फरवरी 2016 को अपने आदेश में किला क्षेत्र से अतिक्रमण और अवैध ढांचों को हटाने का निर्देश दिया था। इसी तरह दिल्ली हाई कोर्ट ने भी अक्टूबर 2016 में एक आदेश में स्पष्ट रूप से कहा था कि किले में आगे कोई निर्माण या अतिक्रमण नहीं किया जाना चाहिए। 2017 और 2022 में अदालत ने आगे निर्देश दिया कि किले की बाहरी दीवारों के भीतर भूमि के संबंध में कोई संपत्ति का लेन-देन नहीं होगा। इसने किले की दीवारों के भीतर रहने वाले व्यक्तियों के संबंध में 1993 में विद्यमान यथास्थिति को बनाए रखते हुए क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अनधिकृत निर्माण पर बहुत गंभीरता से विचार किया। 



50 फ़ीसदी से ज़्यादा भूमि लोगों ने क़ब्ज़ा की


साल 1995 में दिल्ली विकास प्राधिकरण यानि डीडीए के भूमि और विकास कार्यालय ने देखभाल और रखरखाव के उद्देश्य से 2,661 बीघा का क्षेत्र एएसआई को सौंप दिया था और आज के वक़्त 50% से ज्यादा क्षेत्र पर अवैध रूप से लोगों का कब्जा है। साल 2001 में किले की जमीन को अवैध तरीके से कब्जा किए जाने की जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी। कई सालों तक ये मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा था। लेकिन साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने इसपर संज्ञान लिया और मामले को दिल्ली हाईकोर्ट के पास भेज दिया और इसकी मॉनिटरिंग करने का आदेश दिया। 

 

हाईकोर्ट ने भी ज़मीन वापिस लेना का फ़ैसला किया


दिल्ली हाई कोर्ट ने 24 नवम्बर 2023 को इसपर फैसला किया और छह महीन के भीतर किले की जगह को अवैध कब्जाधारियों के चंगुल से वापस लेने का निर्देश दिया। अब एएसआई ने 12-13 जनवरी को डीडीए, दिल्ली नगर निगम और दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर एक अभियान चलाकर करीब 1200 घरों पर नोटिस चस्पा किए हैं। कोर्ट के आदेशानुसार किले की जमीन पर बने इन सभी घरों से सामान इत्यादि निकालने के लिए लोगों को 15 दिन का समय दिया गया है। 


लोगों का दावा, आज़ादी से पहले का बसा है गांव


उधर गांव वालों का दावा ये है कि लाल डोरे के भीतर मेहरौली-बदरपुर रोड पर करीब छह किलोमीटर में तुगलकाबाद किला फैला है। किले की पिछली दीवार से सटा तुगलकाबाद गांव है, जो आजादी के पहले का है। इस गांव का दायरा इसके बसने के समय की तुलना में कई गुना बढ़ गया है। गांव के लोगों का कहना है कि वो लाल डोरे के भीतर ही बसे हैं। वहीं एएसआई के अधिकारियों का कहना है कि सालों से बढ़ते बढ़ते स्थानीय लोगों ने किले की आधे से ज्यादा जमीन पर कब्जा जमा लिया है। 


तुगलकाबाद किला करीब 800 साल पुराना दिल्ली का तीसरा सबसे पुराना किला है। इस किले को गयासुद्दीन तुगलक ने 1321 से 1325 के बीच बनवाया था। तीन साल पहले तक ये किला खंडहर और पत्थरों का ढेर था। लेकिन एएसआई ने इसे फिर से संवारने का काम शुरू किया है। इसके तहत यहां पर सौंदर्यीकारण किया जा रहा है। किले के सबसे ऊंचे बुर्ज विजय मंडल के चारों तरफ रेलिंग लगाई गई है। यहां से पूरा किला, गयासुद्दीन का मकबरा, तुगलकाबाद गांव और आस पास के इलाकों को साफ तौर पर देखा जा सकता है। इसके भीतर बैठने के लिए प्लेटफार्म लगाए गए हैं। बुर्ज और यहां की एक पुरानी बावली तक जाने के लिए पाथ बनाए गए हैं। बाकी हिस्से को भी संवारने का काम किया जा रहा है। 

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