Pele Passed Away at 82 : पेले की ऐसी लोकप्रियता थी कि नाजरिया में थम गया गृहयुद्ध, जानें पेले के बारे में
नई दिल्ली: 30 दिसंबर देर रात दुनिया के महानतम ब्राजील के फुटबॉलर पेले का 82 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। पेले की बेटी केली नैसिमेंटो ने इंस्टाग्राम के जरिए उनके निधन की जानकारी दी। 20वीं सदी के महान फुटबॉलर पेल को कोलन कैंसर था और वह पिछले कुछ दिनों से साओ पाउलो के हॉस्पिटल में भर्ती थे। ज्यादातर फॉर्वर्ड पोजीशन पर खेलने वाले पेले को दुनिया का सबसे महान फुटबॉलर कहा जाता है। पेले जैसा खिलाड़ी शायद ही आने वाले सदियों तक पैदा हो।
पेले का ऑरिजनल नाम ये था
पेले का ऑरिजनल नाम एडसन एरंटेस डो नासिमेंटो था। लेकिन शानदार खेल के चलते उन्हें कई दूसरे नामों से भी जाना जाता था। पेले को 'ब्लैक पर्ल', 'किंग ऑफ फुटबॉल', 'किंग पेले' जैसे कई सारे निकनेम मिले। पेले अपने जमाने के सबसे महंगे फुटबॉलर्स में से एक थे। पले ही थे जिन्होंने ब्राजिल को तीन बार विश्वकप का ख़िताब दिलाया। पेले के नाम 784 मान्य गोल और दुनिया भर के फुटबॉलप्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने पेले उपलब्धियों की एक महान गाथा छोड़कर विदा हुए। यूं तो उन्होंने 1200 से ज्यादा गोल दागे थे, लेकिन फीफा ने 784 को ही मान्यता दी है।
पहले विश्वकप में दुनिया को दंग कर दिया
1940 में जन्में पेले जब 17 साल हुए तो अंतराष्ट्रीय फुटबॉल में कदम रखा। पेले ने 1958 में अपने पहले ही विश्व कप में ब्राजील की छवि बदलकर रख दी। स्वीडन में खेले गए टूर्नामेंट में उन्होंने चार मैचों में छह गोल किए, जिनमें से दो फाइनल में किए थे। ब्राजील को उन्होंने मेजबान पर 5-2 से जीत दिलाई और कामयाबी के लंबे चलने वाले सिलसिले की शुरुआत की।खेल जगत के पहले वैश्विक सुपरस्टार में से एक पेले की लोकप्रियता भौगोलिक सीमाओं में नहीं बंधी थी।
राजनेताओं के भी पसंदीदा थे पेले
फीफा की ओर से महानतम खिलाड़ियों में शुमार किए गए पेले राजनेताओं के भी पसंदीदा रहे। विश्व कप 1970 से पहले उन्हें राष्ट्रपति एमिलियो गारास्ताजू मेडिसि के साथ एक मंच पर देखा गया जो ब्राजील की सबसे तानाशाह सरकार के सबसे निर्दयी सदस्यों में से एक थे।
लोकप्रियता ऐसी की मैच देखने के लिए गृहयुद्ध रुक गया
ब्राजील की पेचीदा सियासत के सरमाये में मध्यम वर्ग से निकला एक अश्वेत खिलाड़ी विश्व फुटबॉल परिदृश्य पर छा गया। उनकी लोकप्रियता का आलम यह था कि 1960 के दशक में नाइजीरिया के गृहयुद्ध के दौरान 48 घंटे के लिए विरोधी गुटों के बीच युद्धविराम हो गया, ताकि वे लागोस में पेले का एक मैच देख सकें।
भारत आए तो पूरा शहर थम गया
वह कोस्मोस के एशिया दौरे पर 1977 में मोहन बागान के बुलावे पर कोलकाता भी आए। उन्होंने ईडन गार्डंस पर करीब आधा घंटा फुटबॉल खेला, जिसे देखने के लिए 80000 दर्शक मौजूद थे। उनकी लोकप्रियता का आलम यह था कि 1977 में जब वह कोलकाता आए तो मानो पूरा शहर थम गया था। पूरी दुनिया को फुटबॉल गोल से तीन बार जीतने वाला ये खिलाड़ी आज कैंसर से हार गया।