‘देश में 1.58 करोड़ बच्चे ड्रग्स लेते हैं, 5.7 करोड़ को शराब की लत’, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया

<p style=”text-align: justify;”><strong>Supreme Court:</strong> सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में देश में ड्रग्स की गंभीरता के बारे में जानकारी दी. बताया गया कि देश में 10 से 17 साल की उम्र के 1.58 करोड़ बच्चे ड्रग्स के किसी न किसी रूप के आदी ...

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कावेरी

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<p style=”text-align: justify;”><strong>Supreme Court:</strong> सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में देश में ड्रग्स की गंभीरता के बारे में जानकारी दी. बताया गया कि देश में 10 से 17 साल की उम्र के 1.58 करोड़ बच्चे ड्रग्स के किसी न किसी रूप के आदी हैं. सरकार ने कहा कि इस आयु वर्ग के बच्चे और किशोर अल्कोहल, कोकीन, भांग सहित कई तरह के नशीले पदार्थों का सेवन कर रहे हैं.&nbsp;</p> <p style=”text-align: justify;”>सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद किए गए एक सर्वेक्षण का जिक्र करते हुए सरकार ने कहा कि शराब भारतीयों में सबसे अधिक इस्तेमाल की जाती है. इसके बाद भांग और अफीम का नंबर है. सरकार ने बताया कि लगभग 16 करोड़ लोग शराब पीते हैं और 5.7 करोड़ से ज्यादा को इसकी गंभीर लत है. वहीं 3.1 करोड़ लोग भांग उत्पादों का उपयोग करते हैं और लगभग 25 लाख लोगों को भांग की लत है.&nbsp;</p> <p style=”text-align: justify;”>देश में बच्चों में बढ़ती शराब और नशे की लत को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह बहुत ही गंभीर मामला है. जस्टिस केएम जोसेफ ने इस मामले को सीजेआई के पास भेजते हुए आग्रह किया कि इस मामले को सुप्रीम कोर्ट के द्वारा स्वतः संज्ञान लिए गए एक मामले के साथ सुनवाई की जाए. एनजीओ “बचपन बचाओ आंदोलन” की ओर से ये याचिका दायर की गई है.&nbsp;</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>2.26 करोड़ को मिल जाती है अफीम&nbsp;</strong></p> <p style=”text-align: justify;”>सरकार के मुताबिक 2.26 करोड़ लोग अफीम का नशा करते हैं और लगभग 77 लाख लोगों को अफीम से होने वाली समस्याओं के लिए डॉक्टरी मदद की जरूरत पड़ती है.</p> <p style=”text-align: justify;”>केंद्र सरकार का पक्ष रख रहीं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने जस्टिस के.एम.जोसफ और बी.वी. नागरत्ना की बेंच को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के 2016 के फैसले के बाद सरकार ने भारत में नशीले पदार्थ के उपयोग की सीमा और तौर-तरीकों पर एक सर्वेक्षण कराया था. उन्होंने कहा कि मिनिस्ट्री ऑफ सोशल जस्टिस और एंपावरमेंट ने अपनी तरह का पहला राष्ट्रीय सर्वे कराया था.&nbsp;</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>बचपन बचाओ आंदोलन ने दिया तर्क&nbsp;</strong></p> <p style=”text-align: justify;”>इस बीच याचिकाकर्ता एनजीओ “बचपन बचाओ आंदोलन” की ओर से वरिष्ठ एडवोकेट एचएस फूलका ने तर्क दिया कि सरकार 2016 के सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं कर रही है. उन्होंने दावा किया कि, नशीले पदार्थों के सेवन से निपटने के लिए अपनी राष्ट्रीय योजना में सभी पहलुओं को शामिल नहीं किया गया है. बेंच ने फूलका से पूछा कि क्या वह आदेश का पालन नहीं होने से व्यथित हैं या योजना में कुछ और किया जा सकता था. इस पर फूलका ने कहा कि हालांकि राष्ट्रीय योजना का अनुपालन किया गया है, लेकिन इसमें अधिक पहलुओं को शामिल किया जा सकता था.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें-&nbsp;</strong><strong><a title=”साफ शहरों का दौरा कर दिल्ली को कूड़ा मुक्त बनाने का MCD को दिया जाएगा प्लान, विधानसभा की समिति का फैसला” href=”https://ift.tt/EOwy9Jt” target=”_blank” rel=”noopener”>साफ शहरों का दौरा कर दिल्ली को कूड़ा मुक्त बनाने का MCD को दिया जाएगा प्लान, विधानसभा की समिति का फैसला</a></strong></p>

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कावेरी "द न्यूज़ रिपेयर" की एक समर्पित और खोजी पत्रकार हैं, जो जमीनी हकीकत को सामने लाने के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी में सामाजिक सरोकार, जनहित और निष्पक्ष रिपोर्टिंग की झलक मिलती है। कावेरी का उद्देश्य है—सच्ची खबरों के ज़रिए समाज में बदलाव लाना और उन आवाज़ों को मंच देना जो अक्सर अनसुनी रह जाती हैं। पत्रकारिता में उनकी पैनी नजर और निष्पक्ष दृष्टिकोण "द न्यूज़ रिपेयर" को विश्वसनीयता की नई ऊँचाइयों तक ले जा रहे हैं।

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