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डीटीसी का बड़ा फ़ैसला, प्राइवेट स्कूलों के छात्रों पर पड़ेगा सीधा असर, मामला पहुँचा हाईकोर्ट

नई दिल्ली: दिल्ली परिवहन निगम ने एक बड़ा फ़ैसला लिया है. दरअसल DTC ने निजी स्कूलों को बसें नहीं उपलब्ध कराने का फैसला किया है जिसका स्कूलों और अभिभावकों ने विरोध किया है. …

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नई दिल्ली: दिल्ली परिवहन निगम ने एक बड़ा फ़ैसला लिया है. दरअसल DTC ने निजी स्कूलों को बसें नहीं उपलब्ध कराने का फैसला किया है जिसका स्कूलों और अभिभावकों ने विरोध किया है.


डीटीसी का ये फ़ैसला अब दिल्ली हाईकोर्ट तक पहुंच गया है. हाई कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई तीन अगस्त को होगी. अभिभावकों और स्कूलों का कहना है कि डीटीसी के इस फैसले से छात्रों और उनके माता-पिता को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. 


दरअसल, यात्रियों के लिए अधिक बसों की आवश्यकता को देखते हुए डीटीसी ने ये फैसला लिया है. परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, परिवहन विभाग और डीटीसी के सीनियर अधिकारियों ने इस फैसले के संबंध में स्कूलों को भी सूचना दी थी. 


निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों की एक्शन कमेटी के महासचिव भरत अरोड़ा ने कहा कि कई स्कूल छात्रों के स्कूल से ले जाने और लाने के लिए डीटीसी बसों पर निर्भर हैं. 


अरोड़ा ने कहा कि हमने दिल्ली सरकार से निजी स्कूलों के लिए डीटीसी बस सेवा को प्राथमिकता के आधार पर बहाल करने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा कि कई स्कूलों के लिए यह चुनौतिपूर्ण स्थिति है, क्योंकि स्कूलों के पास नई बसें खरीदने के लिए एक्स्ट्रा फंड नहीं है.


दिल्ली में अभी इतनी बसों की ज़रूरत


दिल्ली में वर्तमान में 7200 से अधिक सार्वजनिक परिवहन बसें हैं जिनमें डीटीसी की ओर से चलाई जाने वाली 3912 और दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी मोडल ट्रांजिट सिस्टम (डीआईएमटीएस) की ओर से 3293 क्लस्टर बसें संचालित होती हैं. आधिकारिक अनुमानों के अनुसार, शहर को अपनी सार्वजनिक परिवहन जरूरतों को पूरा करने के लिए 11 हजार बसों की आवश्यकता है.


उधर, बसों को वापस लेने के फैसले का स्कूलों और अभिभावकों ने विरोध किया था. स्कूलों ने इसे दिल्ली हाई कोर्ट में इस फैसले को चुनौती भी दी थी और डीटीसी के इस फैसले पर सवाल उठाया था. 


डीटीसी के इस फ़ैसले का असर पैरेंट्स पर भी पड़ने वाला है. अभिभावकों का कहना है कि दिल्ली सरकार का यह फैसला बिलकुल अनुचित है. कोरोना के दौरान और बाद में कई परिवारों को वित्तीय समस्या का सामना करना पड़ रहा है और स्कूलों से डीटीसी बस सुविधाओं को हटाने से अभिभावकों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ने वाला है. 


अभिभावकों को सता रही चिंता


अभिभावकों ने कहा कि यदि स्कूल परिवहन की व्यवस्था नहीं कर सकता है, तो माता-पिता को अपने बच्चों को स्कूल छोड़ना और लेने जाना होगा जो सभी पैरेंट्स के लिए संभव नहीं है.


दिल्ली हाई कोर्ट ने भी नोटिस किया था कि निजी स्कूल के छात्रों के लिए डीटीसी बस सेवा को बंद करने के निर्णय का सभी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. हाई कोर्ट ने ये भी कहा था कि स्कूलों के अलावा माता-पिता और छात्रों को परेशानी होती है. मामले की अगली सुनवाई 3 अगस्त को होगी.


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