नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने रोहिणी एवं धीरपुर में, सरकारी आंबेडकर विश्वविद्यालय के दो नये परिसरों के निर्माण के लिए 2306.58 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है. एक सरकारी बयान में बुधवार को यह जानकारी दी गयी.
बयान के मुताबिक, इन नये परिसरों में आगामी वर्षों में 26,000 से अधिक विद्यार्थियों को जगह मिलेगी. बयान के मुताबिक, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आंबेडकर विश्वविद्यालय के इन आगामी परिसरों में अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा खड़ा करने के लिए 2306.58 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है.
शिक्षा मंत्री सिसोदिया ने कहा कि हर साल ढ़ाई लाख से अधिक विद्यार्थी बारहवीं पास कर विभिन्न विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए आवेदन करते हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘ लेकिन हरेक को मेधा एवं क्षमता के बाद भी प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में दाखिला नहीं मिलता. इतने अधिक विद्यार्थियों की शैक्षणिक जरूरतों को पूरा करने के लिए नये परिसरों की रूपरेखा बनाई गयी ताकि सामूहिक भागीदारी, स्व-विकास के लिए समुचित जगह, ज्ञान सृजन एवं प्रसार, सामुदायिक जीवन एवं समावेशी संस्कृति का मार्ग सुगम करने के लिए सर्वथा अनुकूल माहौल सुनिश्चित किया जा सके.’’
16,000 से ज़्यादा छात्र करेंगे पढ़ाई
सिसोदिया ने कहा कि फिलहाल विश्वविद्यालय में 4000 से अधिक विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं लेकिन धीरपुर एवं रोहिणी में नये परिसरों के बन जाने के बाद यह आंकड़ा 30,000 तक चला जाएगा. आंबेडकर विश्वविद्यालय का रोहिणी में नया परिसर 1107.56 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जाएगा.यह परिसर 1,64,130 वर्गमीटर में फैला होगा जहां 10,000 से अधिक विद्यार्थी पढ़ाई-लिखाई कर पायेंगे. धीरपुर में संस्थान का नया परिसर 2,00,759 वर्गमीटर में बनेगा जिस पर 1199.02 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. वहां 16,000 से अधिक विद्यार्थी अध्ययन कर पायेंगे.
छात्रों को प्रोफेशनल रूप से तैयार करना है
बता दें कि सरकार शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रही है. पिछले हफ्ते ही खबर सामने आई थी कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों के छात्र अब फ्रेंच भाषा भी सीखेंगे. बच्चों को ग्लोबल एक्सपोजर व अनुभव देने के लिए दिल्ली सरकार के दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन (डीबीएसई) ने फ्रेंच इंस्टीट्यूट फ्रांसेस इन इंडिया के साथ समझौता किया है.इस मौके पर उपमुख्यमंत्री और शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया और भारत में फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनिन की उपस्थिति में समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. दिल्ली सरकार के इस समझौते का उद्देश्य छात्रों को प्रोफेशनल रूप से तैयार करना है.
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