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सेना में अहीर रेजीमेंट बनाने की मांग तेज़, 36 बिरादरी के लोगों ने किया समर्थन

गुरुग्राम: सेना में अहीर रेजीमेंट बनाने की मांग को लेकर गुरूग्राम के खेडकी दौला टोल धरनास्थल पर पंहूचकर रेवाडी विधायक चिरंजीव राव ने समर्थन किया. यहां…

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गुरुग्राम: सेना में अहीर रेजीमेंट बनाने की मांग को लेकर गुरूग्राम के खेडकी दौला टोल धरनास्थल पर पंहूचकर रेवाडी विधायक चिरंजीव राव ने समर्थन किया. यहां शहीदी दिवस पर बडी संख्या में देश भर से 36 बिरादरी के लोगों ने पंहूचकर अहीर रेजीमेंट बनवाने की मांग को समर्थन किया. 

विधायक चिरंजीव राव ने अपना समर्थन देते हुए कहा अहिर समाज अपने स्वर्णिम सैनिक संस्कृति के लिए देशभर में जाना जाता है परंतु बहुत ही खेद का विषय है कि जिस समाज का सैनिक इतिहास इतना समृद्ध रहा हो और उसकी रेजीमेंट का भारतीय सेना में ना होना बहुत ही खेद का विषय है. 


अहीर समाज के रणबांकुरे ने देश की सीमाओं की रक्षा के लिए अदम्य साहस और शौर्य का परिचय देते हुए सर्वोच्च बलिदान इस देश की सीमाओं की रक्षा के लिए दिया है. 


चिरंजीव राव ने कहा अहीर रेजीमेंट बनवाने को लेकर उन्होंने चंडीगढ विधानसभा में भी मांग रखी थी वहीं इससे पहले रेजीमेंट को लेकर हस्ताक्षर अभियान भी चलाया था और रक्षा मंत्री तक को भी पत्र लिखकर अहीर रेजीमेंट बनवाने की मांग की है.  


राव ने बताया अहीर समाज के योद्धाओ ने  1739 में करनाल के मैदान में जब मुग़ल फौज भाग खड़ी हुई तो नादिरशाह का मुकाबला  5000 वीर अहीर सैनिकों ने राव बालकिशन के नेतृत्व में  किया और सभी उस युद्ध में शहीद हो गए. स्वयं नादिरशाह ने वीर अहीरों की तारीफ में मुगल बादशाह से कहा कि यदि ऐसे एक दो और सेनापति मुझसे युद्ध में टकरा  जाते तो मेरा दिल्ली पहुंचना मुश्किल हो जाता. 


1857 की क्रांति में राव तुला राम, राव गोपाल देव राव किशन सिंह के नेतृत्व में नसीबपुर नारनौल के मैदान में अंग्रेजों से दो-दो हाथ करते हुए 5000  वीर अहीरों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया . प्रथम विश्व युद्ध में 19546 द्वितीय विश्व युद्ध में 38150 ( देश में जातीय अनुपात में सबसे अधिक सैनिक देने वाली कोम) वीर अहिर सैनिकों ने दुनिया के अंदर अंग्रेजों के साथ विभिन्न मोर्चों पर लड़ते हुए अपना परचम फहराया और ब्रिटिश भारत के तोपखाने के इतिहास में पहला विक्टोरिया क्रॉस भी इसी जाती के उमराव सिंह को दिया गया. 


चिरंजीव राव ने कहा आजादी के बाद 1962 में चीन के साथ रेजांगला का युद्ध विश्व की 5 दुर्लभतम लड़ाईया में से एक जिसमें 13 कुमाऊं बटालियन की चार्ली सी कंपनी के 124 वीर अहीरों की टुकड़ी ने 3000 चीनी सैनिकों के दांत खट्टे कर दिए थे अंतिम व्यक्ति अंतिम बुलेट तक युद्ध किया. 


इसके अलावा हाजी पीर का युद्ध 1971 का पाकिस्तान से युद्ध, कारगिल युद्ध  पार्लियामेंट् पर अटैक हो इन सभी में वीर अहीर सैनिकों ने ने अपने शौर्य का परिचय देते हुए देश की आन बान शान के लिए अपनी शहादत दी. 


उन्होनें बताया युद्ध में शौर्य, पराक्रम, साहस, बलिदान के लिए दिए जाने वाले  सभी  मेडल इस कौम के नाम लिखे हुए हैं. हल और हथियार की संस्कृति में विश्वास रखने वाली इस बहादुर बलिदानी कौम की अहीर रेजिमेंट की मांग जायज है अहीर रेजिमेंट का नाम हर वीर अहीर सैनिक के कांधे पर हो ना जरूरी है .

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