दिल्ली में तीनों निगम को एक करने वाला बिल गृह मंत्री अमित शाह आज लोकसभा में करेंगे पेश
गृह मंत्री अमित शाह। |
नई दिल्ली: दिल्ली में नगर निगम चुनाव को राज्यपाल के आदेशानुसार अनिश्चतकाल के लिए टाला जा चुका है. जिसे लेकर दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने मोदी सरकार पर चुनाव हारने के डर से एमसीडी चुनाव टालने का आरोप लगाया है. एमसीडी चुनाव को लेकर अरविंद केजरीवाल लगातार बीजेपी को चैलेंज कर रहे हैं. लेकिन बीजेपी की और से अभी तक कोई खासी प्रतिक्रिया नहीं आई है. लेकिन हमारे पास एक ख़बर है जो फ़िलहाल एमसीडी चुनाव टालने के लिए काफ़ी होगी.
राजधानी दिल्ली में तीन निगम है. जिसे अब एक किया जा रहा है. इस बाबत आज लोकसभा में एक बिल पेश किया जाएगा. इससे पहले केंद्रीय कैबिनेट की तरफ से इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. गृहमंत्री अमित शाह दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक-2022 पेश करेंगे. संसद से बिल पास होने के बाद दिल्ली के तीनों नगर निगमों को भंग कर चुनाव कराए जाएंगे.
ख़बर है कि एक निगम में अब 250 से ज्यादा वार्ड नहीं होंगे. लिहाजा वार्डों का परिसीमन करना होगा. ऐसे में नगर निगम का चुनाव 6 महीने के लिए टलने की आशंका है.
निगम भंग हुए तो क्या होगा?
ऐसे में तीनों निगमों के भंग होने की स्थिति में एडमिनिस्ट्रेटर अप्वॉइंट होगा, जो प्रशासक के तौर पर काम करेगा.
आरक्षण पर क्या है स्थिति?
तो सामान्य पार्षदों और अनुसूचित जाति के पार्षदों के वार्डों की कुल संख्या का निर्धारण केंद्र सरकार अधिसूचना के माध्यम से कर सकती है.
कब कितने वार्ड?
2012 में जब निगमों का विभाजन किया गया था, तब वार्डों की संख्या 272 हो गई थी. जिसमें उत्तरी और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में 104-104 वार्ड, जबकि ईस्ट दिल्ली नगर निगम में 64 वार्ड थे. वहीं 2007 में जब निगम एक था, तब वार्डों की संख्या सिर्फ 134 थी.
नए निगम के गठन होने तक विधेयक के तहत एमसीडी के कामकाज को देखने के लिए एक विशेष अधिकारी की नियुक्ति का प्रावधान किया जा सकता है.
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम, उत्तरी दिल्ली नगर निगम और पूर्वी दिल्ली नगर निगम को एक करने वाले विधेयक का नाम दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022 होगा. एकीकरण विधेयक पेश होने और संसद में पारित होने के बाद तीनों नगर निगमों का विलय हो जाएगा.
22 मार्च 2022 को दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन अमेंडमेंट एक्ट-2022 को केंद्र की कैबिनेट ने मंजूरी देकर एकीकरण के फैसले पर मुहर लगा दी थी. एकीकरण के बाद आरक्षित सीटों के गणित बदलेंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि ईस्ट, साउथ, नॉर्थ एमसीडी के इलाके अलग-अलग हैं, लिहाजा उन इलाकों में रह रही अनूसूचित जाति के आधार पर सीटों का आरक्षण हुआ है. जबकि एकीकरण के बाद महिलाओं या अनूसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों के लिए दुबारा पूरी प्रक्रिया से गुजरना होगा. अभी मौजूदा 272 वार्ड में 50 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं.
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में 104 में से 15, उत्तरी दिल्ली नगर निगम में 104 में से 20 और पूर्वी के 64 में से 11 वार्ड अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है.
निगमों में ऐसा है सीटों का गणित
साउथ एमसीडी कुल वार्ड- 104
सामान्य- 44
महिला (सामान्य)- 45
अनुसूचित जाति- 8
महिला (अनुसूचित जाति)- 7
नॉर्थ एमसीडी कुल वार्ड- 104
सामान्य- 42
महिला (सामान्य)- 42
अनुसूचित जाति- 10
महिला (अनुसूचित जाति)- 10
ईस्ट एमसीडी कुल वार्ड- 64
सामान्य- 26
महिला (सामान्य)- 27
अनुसूचित जाति - 5
महिला (अनुसूचित जाति)- 6
अब अगर ऐसा होगा तो वार्ड का दोबारा से परिसीमन करना होगा. जिसमें एकीकरण करने के बाद कुल वार्डों की संख्या 250 रह जाएगा. ऐसे में ये सब करने के लिए 6 महीने चुनाव टालने पड़ सकते हैं. यहीं बात की अरविंद केजरीवाल बार-बार बीजेपी को चैलेंज कर रहे हैं कि दम तो चुनाव लड़ कर दिखाओ.